आज दशहरा हैं और रावण के साथ उसके भाई कुंभकरण का भी पुतला जलाया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि एक ऐसा गाँव है जहाँ एक नहीं कई कुंभकरण हैं। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कजाकिस्तान के कलाची गांव की। जहाँ व्यक्ति रात के साथ-साथ चलते-फिरते भी सोने लग जाते हैं। आइये जानते हैं इसके पीछे का अजीब कारण।
डॉक्टरों ने इस सोने वाली महामारी का नाम करार दे दिया है। इस अंजान सी बीमारी में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इनमें कई बड़े भी शामिल हैं। वहां के लोगों का कहना है कि इस बीमारी से ग्रसित लोग होश में नहीं रहते। लोगों को सोने से पहले यहां इस बात का डर सताता है कि वो फिर शायद कभी उठे ही नहीं।
सोने वाला शख्स थका हुआ सा दिखता है, कुछ बोलता नहीं है और याद्दाश्त भी काफी कमजोर ही रहती है। स्लीपिंग सिकनेस की वजह डॉक्टरों ने सभी ऐसे लोगों की जांच की। उन्होंने देखा कि किसी को भी कोई वायरस या फिर बैक्टीरिया इंफेक्शन नहीं है।
डॉक्टरों ने बताया ऐसे लोगों को कई झटके आते हैं और मतिभ्रम के शिकार होते हैं। ठीक ठीक अभी कुछ बताया नहीं जा सकता, पर कहा जा रहा है इस गांव से कुछ मील दूरी पर ही रूस की एक यूरेनियम की खान है। इस खान से निकलता धुंआ हवा को जहरीला बनाता है और उड़ते हुए इस गांव में जा पहुंचता है। तभी लोग टॉक्सीन वाली हवा को सूंघने से ऐसी हालत में पहुंच जाते हैं।