अक्सर देखा जाता हैं कि व्यापर में लोग एक-दूसरे को चेक से लेनदेन करते हैं और कई बार इसमें चेक बाउंस होने की दिक्कत भी आती हैं। चेक बाउंस होने की स्थिति में आप अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ हैं दिल्ली में लेकिन यहाँ पर चेक बाउंस के मामले में आरोपी एक 7 साल का बच्चा बना हैं जिसको लेकर जज ने अनोखा फैसला सुनाया हैं। तो आइये जानते हैं इस अनोखी घटना के बारे में।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक साहिबाबाद निवासी शिकायकर्ता सिद्धार्थ अग्रवाल के पिता और टीटू शर्मा एक दूसरे के साथ व्यापार करते थे और उन्होंने टीटू को चांदनी चौक स्थित उसकी दुकान पर माल सप्लाई किया था। जिसके एवज में टीटू शर्मा द्वारा चैक दे दिया गया था। साथ ही कहा गया कि मई 2018 में जो माल सप्लाई हुआ था, उसमें 33 हजार रुपये का माल खराब निकला था। हलांकि टीटू शर्मा इस माल का भुगतान चैक के माध्यम से कर चुका था। केस आगे जाकर अदालत पहुंचा।आगे बताया गया कि जब शिकायतकर्ता के पिता इस चैक को भुनाने के लिए बैंक में गए तो यह बाउंस निकला और फिर इसके बाद शिकायतकर्ता के पिता द्वारा टीटू शर्मा के बेटे के नाम कानूनी नोटिस भेजकर 33 हजार रुपये का भुगतान 15 दिन के अंदर करने की मांग की गई। कोर्ट के सामने आरोपी बच्चे की तरफ से वकील विशेष राघव कहते है कि शिकायतकर्ता ने टीटू शर्मा के बेटे के नाम से नोटिस भेज तो दिया था, जबकि उन्हें पता ही नहीं था कि यह बच्चा नाबालिग है और उसकी उम्र महज 7 साल हैं। साथ ही अदालत ने आरोपी बनाए गए बच्चे के पिता को छूट दी है कि वह शिकायतकर्ता के खिलाफ प्रताड़ना का मुकदमा दायर कर सकते हैं, जिसमें कि उनके 7 साल के नाबालिग बेटे को आरोपी बनाया गया हैं।