पुर्तगाल द्वारा मुंबई को ही दे डाला था दहेज में, बेहद दिलचस्प है ये कहानी

देश की माया नगरी मुंबई जो कि पहले बम्बई या बॉम्बे के नाम से जाना जाता था। आज के समय में इसे सपनों की नगरी भी कहा जाता हैं जहाँ लोगो अपने साथ कई सपने लेकर जाता हैं और उन्हें पूरा करने की चाह रखता हैं। क्या आप जानते हैं कि इस मुंबई नगरी का बेहद दिलचस्प इतिहास रहा हैं जिसे पहले दहेज़ में दिया जा चुका हैं। जी हाँ, पुर्तगाल द्वारा इंग्लैंड को मुंबई दहेज़ में दे दिया गया था। तो आइये जानते हैं इस रोचक किस्से के बारे में।

उत्तरी मुंबई में कांदिवली के पास मिले प्राचीन अवशेषों से पता चलता है कि मुंबई द्वीप समूह पाषाण युग से ही बसा हुआ है। यहां 250 ईसा पूर्व में भी लोग रहा करते थे। इसके लिखित प्रमाण भी मिलते हैं। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में ये द्वीपसमूह मौर्य साम्राज्य का भी हिस्सा बना था, जब सम्राट अशोक का शासन था। बाद में इसपर कई साम्राज्य के राजाओं ने शासन किया।

15वीं शताब्दी में जब मुंबई द्वीप समूह गुजरात सल्तनत के कब्जे में था, तब पहली बार पुर्तगालियों ने इसपर हमला बोला। हालांकि उस समय वो इसे हथिया नहीं पाए। इसके बाद उन्होंने 1534 ईस्वी में मुंबई द्वीप समूह पर एक बार फिर हमला किया। तब यहां गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह का कब्जा था, जिसे हथिया कर इस द्वीप समूह पर पुर्तगालियों ने अपना अधिकार कर लिया। उसके बाद इस द्वीप समूह पर उन्होंने कई सालों तक राज किया।

17वीं शताब्दी की शुरुआत में जब अंग्रेज पहली बार भारत आए तो उनकी नजर भी मुंबई द्वीप समूह पर पड़ी, क्योंकि उस समय तक यह द्वीप समूह एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्र बन चुका था। कहते हैं कि इस द्वीप समूह को लेकर अंग्रेजों और पुर्तगालियों में कई बार विवाद भी हुए। बाद में दोनों के बीच का यह विवाद तब खत्म हुआ, जब पुर्तगाल के राजा ने अपनी बेटी कैथरीन की शादी इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय से करने का फैसला किया।

1661 ईस्वी में पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन और इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय की शादी हो गई। असल में यह शादी एक विवाह संधि थी। वैसे तो इस शादी में पुर्तगाल ने इंग्लैंड को बहुत कुछ दिया, लेकिन सबसे जरूरी चीज जो उसने दी, वो था मुंबई द्वीप समूह। पुर्तगाल ने मुंबई को ही दहेज के रूप में इंग्लैंड के राजा को दे दिया। हालांकि बाद में राजा चार्ल्स द्वितीय ने मुंबई द्वीप समूह को ईस्ट इंडिया कंपनी को मात्र 10 पाउंड प्रति वर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिया। इस तरह अंग्रेजों का मुंबई पर कब्जा हुआ, जो भारत की आजादी तक रहा।