हर व्यक्ति की चाहत होती हैं की उसका नाम इतिहास में अमर हो जाए और लोग उसे याद रखें। लेकिन कभीकभार इसके चक्कर में लोग कुछ ऐसे काम कर बैठते हैं जिसके लिए लोग उन्हें याद नहीं करते बल्कि कोसते हैं। ऐसा ही एक तानाशाह था रोमानिया का निकोलय चाचेस्कू जिसने 60-70 के दशक में आम लोगों की निगरानी में भी अपनी खुफिया पुलिस लगा दी थी। चाचेस्कू ने लगातार 25 सालों तक देश पर राज किया और ऐसा किया कि उनके डर से न लोग कुछ बोलते थे और न ही वहां की मीडिया। उन्होंने अपना इतिहास बनाने की कोशिश तो की, लेकिन आज रोमानिया का इतिहास ही उनको पसंद नहीं करता।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रोमानिया में भारत के राजदूत रह चुके राजीव डोगरा ने बताया कि चाचेस्कू के जमाने में पार्क में बैठे लोगों पर नजर रखने के लिए एक खुफिया एजेंट बैठा रहता था। इसका पता लोगों को न चले, इसलिए वो अखबार में किए एक छेद के सहारे लोगों को देखा करता था। राजीव डोगरा के मुताबिक, चाचेस्कू की मौत के 10 साल बाद भी रोमानिया में लोग डर के साये में जीते थे। वह अपनी परछाई से भी घबराते थे और सड़क पर चलते समय बार-बार पीछे मुड़कर देखा करते थे कि कहीं कोई जासूस उनका पीछा तो नहीं कर रहा।
बीबीसी के मुताबिक, रोमानिया में लोग चाचेस्कू को 'कंडूकेडर' के नाम से जानते थे, जिसका मतलब होता था 'नेता', जबकि उनकी पत्नी एलीना को रोमानिया की राष्ट्रमाता का खिताब दिया गया था। कहते हैं कि तानाशाही का आलम ये हो गया था कि जब कोई दो टीमों के बीच फुटबॉल मैच होता था तो एलीना यह तय करती थीं कि जीत किस टीम की होगी और वो मैच टीवी पर प्रसारित किया जाएगा या नहीं।
कहते हैं कि चाचेस्कू ने पूरे देश में गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसके पीछे उद्देश्य ये था कि वह रोमानिया की जनसंख्या को बढ़ाना चाहते थे, ताकि वह अपने देश को एक विश्व शक्ति बना सकें। हालांकि उन्होंने तलाक पर प्रतिबंध तो नहीं लगाया था, लेकिन उसे इतना मुश्किल बना दिया था कि लोग तलाक ले-दे ही नहीं पाते थे।
यह भी कहा जाता है कि चाचेस्कू को साफ-सफाई की ऐसी 'बीमारी' थी कि वह एक दिन में 20-20 बार अपने हाथ धोते थे और वो भी शराब से। दरअसल, वो डरते थे कि कहीं उन्हें इन्फेक्शन न हो जाए। इस हाथ धोने की 'बीमारी' का आलम ये था कि जब वो साल 1979 में ब्रिटेन गए थे महारानी एलिजाबेथ से मिलने, तब भी वह हर एक व्यक्ति से हाथ मिलाने के बाद शराब से अपना हाथ धोते थे। यहां तक कि उनके बाथरूम में सिर्फ हाथ धोने के लिए ही शराब की बोतल रखवा दी गई थी।
चाचेस्कू की तानाशाही इस कदर बढ़ चुकी थी कि रोमानिया में लोगों को ढंग से खाना तक नहीं मिलता था, लेकिन फल-सब्जियों और मांस का दूसरे देशों में निर्यात होता था। बाद में इसी तानाशाही के खिलाफ लोगों ने आवाज उठाई और जगह-जगह विद्रोह किए। इसका नतीजा ये हुआ कि 25 दिसंबर, 1989 को चाचेस्कू और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने दोनों को मौत की सजा सुनाई, जिसके बाद चाचेस्कू और एलीना को गोली मार कर हमेशा-हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया। इसी के साथ निकोलय चाचेस्कू की तानाशाही का भी अंत हो गया।