ब्लैक होल की गहराई का रहस्य कर देगा आपको हैरान

क्या आपने कभी ब्लैक होल का नाम सुना हैं। ब्लैक होल अंतरिक्ष का वह हिस्सा हैं जो कि शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र वाली जगह होती हैं और अपने अंदर कई चीजों को समा लेता हैं। ब्लैक होल को 'कृष्ण विवर' के नाम से भी जाना जाता हैं। ब्रह्मांड में एक नहीं कई ब्लैक होल हैं। ब्लैक होल से जुड़े रहस्य बेहद हैरान करने वाले हैं। इसपर भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता। यहां तक कि प्रकाश भी अगर एक बार ब्लैक होल के अंदर चला जाए तो वो फिर कभी बाहर नहीं आ पाता।

आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रह्मांड में कई ब्लैक होल हैं। हालांकि वो सभी पृथ्वी से हजारों प्रकाश वर्ष दूर हैं। अगर वो नजदीक होते तो पृथ्वी को कब का निगल गए होते और फिर धरती पर इंसानों का नामोनिशान नहीं रहता। क्या आप जानते हैं कि आखिर ब्लैक होल बनता कैसे है? वैज्ञानिक तौर पर ऐसा माना जाता है कि जब कोई विशाल तारा अपने अंत की ओर पहुंचता है तो वह धीरे-धीरे एक ब्लैक होल में परिवर्तित हो जाता है और फिर वो अपने आसपास की सारी चीजों को अपनी तरफ खींचने लगता है।

अब जरा सोचिए कि अगर आप ब्लैक होल में गिर जाएं तो क्या होगा? वैसे तो यह लगभग असंभव सा है, क्योंकि ब्लैक होल तक पहुंचने से पहले ही आप जलकर राख हो जाएंगे या हो सकता है कि आप उसके अंदर पहुंच भी जाएं। अब ब्लैक होल के अंदर घुसने के बाद क्या होगा? क्या कोई दूसरा ब्रह्मांड आ जाएगा या आप दूसरी दुनिया में पहुंच जाएंगे? ये कोई नहीं जानता, क्योंकि यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है।

पिछले साल ही वैज्ञानिकों ने एम87 आकाशगंगा में मौजूद एक विशाल ब्लैक होल की तस्वीर जारी की थी। बताया गया था कि यह ब्लैक होल आकार में पृथ्वी से तीस लाख गुना बड़ा है और वजन में हमारे सूर्य से 650 करोड़ गुना से भी ज्यादा भारी। इसे ब्रह्मांड का सबसे बड़ा ब्लैक होल माना गया है। कहा जाता है कि ब्रह्मांड के करोड़ों तारों को मिलाकर जितनी रोशनी होगी, यह उससे भी कहीं ज्यादा चमकदार है।

हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के सबसे नजदीक एक ब्लैक होल की खोज की है, जो दो तारों के बीच छुपा हुआ है। यह धरती से करीब 1000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह आकार में हमारे सूरज से चार गुना बड़ा है जबकि वजन में पांच गुना। इसकी खोज चिली स्थित ला सिला ऑब्जर्वेटरी ने टेलीस्कोप के जरिए की है।