परंपरा के नाम पर महिलाओं के प्राइवेट पार्ट के साथ किया जाता है कुछ ऐसा

देश-दुनिया में आज भी कई ऐसी चीजें हैं जिनमें परंपरा को बहुत माना जाता हैं। लेकिन इसी के साथ ही परम्परा के नाम पर कई ऐसी चीजें की जाती हैं जिनपर कई सवाल खड़े होते हैं। आज इस कड़ी में हम आपके लिए एक ऐसी अनोखी परंपरा की जानकारी लेकर आए हैं जिसमें महिलाओं के प्राइवेट पार्ट से जुड़ी हुई हैं। इसे खटने के नाम से जाना जाता हैं। इस परंपरा में वजाइना में ब्लेड या किसी धारदार हथियार से चीरा लगाकर उसे सिल दिया जाता है। कई जगह प्राइवेट पार्ट के एक हिस्से (क्लिटोरिस) को भी काट दिया जाता है।

ऐसा करने पर लड़की कामेच्छा (सेक्स की इच्छा) को नियंत्रित कर पाती है। इसके अलावा धर्म, परंपरा औऱ समाजिक चलन का भी हवाला दिया जाता है। महिला खतने का चलन मुस्लिम और ईसाई समुदायों के अलावा कुछ स्थानीय धार्मिक समुदायों में भी है। अफ्रीकी देशों, यमन, इराकी कुर्दिस्तान, एशिया और इंडोनेशिया में महिला खतना ज्यादा चलन में है। भारत के कई हिस्सों में भी आज भी इसकी मान्यता है।

लड़कियों का खतना शिशु अवस्था से लेकर 15 साल तक की उम्र के बीच होता है। आमतौर पर परिवार की महिलाएं ही इस काम को अंजाम देती हैं। खतना कराने वाली महिलाएं अपने जीवनसाथी के प्रति ज्यादा वफादार होती हैं। खतने के कारण लंबे समय तक रहने वाला दर्द, मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं, पेशाब का संक्रमण और बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई लड़कियों की ज्यादा खून बहने से मौत भी हो जाती है।