किसी भी सेना के सिपाही की रक्षा में मदद करते हैं उसके पास उपस्थित हथियार। ऐसे में बुलेटप्रूफ जैकेट भी बहुत जरूरी हैं जो दुश्मनों की गोलियों को शरीर पर लगने से पहले ही रोक देती हैं। ऐसे में जब यह बुलेटप्रूफ जैकेट इतनी जरूरी हैं तो क्या आप सोच सकते हैं कि अब इसे मकड़ी के जाले से बुना जा रहा हैं। जी हाँ, ऐसा किया जा रहा हैं अमेरिका की क्रेग बायोक्राफ्ट लेबोरेटरीज द्वारा जो कि मकड़ी के सिल्क से बनी जैकेट बनाने की कोशिश कर रही है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस मकड़ी के जाले इतने मजबूत होते हैं कि अगर इन्हें ठीक से बुना जाए तो यह तेजी से आती बंदूक की गोली को भी रोक सकते हैं।
दरअसल, जानकारों का मानना है कि कुछ मकड़ियां एक खास तरह का फाइबर बनाती हैं जिसका इस्तेमाल अगर सेना की सुरक्षा के लिए किया जाए तो यह चमत्कारिक रूप से काम कर सकता है। लेकिन ये क्या है और कैसे काम करेगा, आईये आपको बताते हैं।
जानकारों की माने तो कुछ खास तरह की मकड़ियां सिल्क बनाती हैं। इसे स्पाइडर सिल्क कहते हैं जो एक तरह का प्रोटीन फाइबर है। ये सिल्क बहुत अच्छी क्वालिटी के सिल्क की तुलना में काफी हल्का, लचीला है और बहुत मजबूत होता है। ये इतना उच्च दर्जे का सिल्क होता है कि इससे सेनाओं के लिए जैकेट से लेकर डॉक्टरों के लिए सर्जिकल सूट तक तैयार किए जा सकते हैं। इससे अभी तक दस्ताने बना कर देखे गये हैं जिनकी टेस्टिंग चल रही है।
इसकी खासियत इसे काफी महत्वपूर्ण बनाती हैं। बताया जाता है कि ये सिल्क वर्तमान जैकेट में इस्तेमाल होने वाले केवलार से भी कहीं ज्यादा मजबूत होता है। यह अल्ट्रा-स्ट्रांग स्पाइडर सिल्क अब तक खोजे जा सकने वाले प्राकृतिक फाइबर में से सबसे ज्यादा मजबूर फाइबर है। इसकी खासियत यह है कि अगर इसका इस्तेमाल जैकट के तौर पर सेना के लिए किया जाए तो ये लड़ाई या मुठभेड़ के दौरान गोलियों से सैनिकों की रक्षा करने में सक्षम है।
इस बारे में क्रेग बायोक्राफ्ट लेबोरेटरीज के सीईओ किम थॉम्पसन मानते हैं कि यह सिल्क इतना मजबूत होता है कि यह स्वाभाविक रूप से शिकार की ऊर्जा को कम कर देता है और इसी लिए इसका प्रयोग सैनिकों के लिए जैकेट बनाने के लिए किया जाना जरूरी है। जानकारों का कहना है कि इस सिल्क से बनी जैकेट पहन कर सेना काफी हल्का और आरामदायक फील करेगी। इससे सेना काफी एक्टिव भी रहेगी। उनके दौड़ने-भागने और लड़ाई के मैदान में काम की क्षमता भी बढ़ जाएगी।
इस जैकेट पर किए गये प्रयोग के सकारात्मक नतीजे साइंस जर्नल में भी आ चुके हैं। हालांकि अभी ये अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि ये जैकेट कब तक तैयार हो जाएगी लेकिन अगर ये सफल रहा और आगे भी इसके प्रयोग जारी रहे तो सबसे पहले सेना के लिए इसके अंडरगारमेंट बनाए जायेंगे। ताकि मुश्किल हालातों में सेना के पास सुरक्षित कपड़े रहें।