आखिर कैसे चुने गए गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्षयात्री

नए साल की शुरुआत के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चंद्रयान-3 और गगनयान की घोषणा की गई थी। गगनयान अंतरिक्ष में इसरो का पहला मानव मिशन होगा। इसके लिए भारतीय वायु सेना के चार पायलट चुने गए हैं। क्या आप जानते हैं कि मानव मिशन की इस योजना की शुरुआत साल 2007 से ही शुरू हो गई थी। क्या आप जानते हैं कि आखिर गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्षयात्री का चुनाव कैसे किया गया है। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

वास्तव में, इन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन काफी पहले शुरू हो चुका था। भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन (इसरो) और भारतीय वायु सेना ने अंतरिक्ष यात्रियों के चयन, प्रशिक्षण और गगनयान कार्यक्रम के लिए अन्य आवश्यक पहलुओं के लिए 29 मई 2019 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। अनुबंध के मुताबिक, प्रक्रिया 12 से 14 महीने तक चलेगी। इसके बाद सिवन ने घोषणा की कि चयनित अंतरिक्ष यात्रियों को भारत में बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाएगा और आगे के प्रशिक्षण के लिए विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियों से सहायता ली जाएगी।

जहां तक भारत में अंतरिक्ष लॉन्च का संबंध है तो अंतरिक्ष यात्रियों की चयन प्रक्रिया का काम इंस्टीच्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन कर रही है। इसने 1957 में भारतीय वायु सेना के एक सहयोगी के रूप में काम शुरू किया था। यह पायलटों को प्रशिक्षित करने में भारतीय वायु सेना की मदद कर रहा है। यही कारण है कि अंतरिक्ष यात्रियों के चयन का काम इस एजेंसी को सौंपा गया।

अंतरिक्ष में जाने वाले अंतरिक्ष यात्री अच्छे पायलट होने चाहिए। इसके अलावा उनकी पृष्ठभूमि इंजीनियरिंग की भी होनी चाहिए। पहले अंतरिक्ष यात्रियों के चयन के लिए उत्साही लोगों से आवेदन मांगे जाते हैं। इस उद्देश्य के लिए भारतीय वायु सेना के पायलट विभाग में आंतरिक रूप से अधिसूचना जारी की जाएगी। आवेदनकर्ताओं का मूल्यांकन किया जाएगा और योग्य उम्मीदवारों को चयन किया जाएगा। चयनित प्रत्याशियों के अंतरिक्ष यात्रा के लिए उनके शारीरिक योग्यता जांच के लिए कुछ मेडिकल टेस्ट किए जाएंगे। सफल प्रत्याशियों को आगे के परीक्षणों के लिए ले जाया जाएगा।

दूसरे चरण में चयनित पायलटों का शारीरिक परीक्षण किया जाएगा। जो शारीरिक टेस्ट में चयनित हो जाएंगे उनका चयन बुनियादी अंतरिक्ष परीक्षण के लिए किया जाएगा। इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन एयर कॉमर्स ने ऐस्ट्रनॉट सलेक्शन एग्रीमेंट पर कहा कि वे 30 भारतीय वायु सेना के पायलटों में से शौक रखने वाले का चयन करेंगे। उनमें से 15 को अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाएगा और आखिर में नौ का चयन किया जाएगा और उन्हें विदेश में पूर्णकालिक अंतरिक्ष यात्री का प्रशिक्षण दिया जाएगा।