भगवान राम की कथा महाकाव्य 'रामायण' में लिखा है कि भगवान राम ने लंका में राक्षसों के राजा रावण की क़ैद से अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए वानर सेना की मदद से रामसेतु पुल बनाया था। इस पुल को बनाने में जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था वह पानी में तैरते थे या फिर यह कह सकते है कि भगवान राम की कृपा की वजह से वह पत्थर पानी में तेर रहे थे।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में इसी तरह के पानी में तेरने वाले दो पत्थर मिलें है। यह पत्थर यहां के निवासी अशोक कुमार की जमीन में एक घड़े में मिलें है।
अशोक कुमार ने इन पत्थरों को अब अपने पूजा स्थल पर पानी से भरे बर्तन में रखा है, जिसे देखने के लिए काफी लोग पहुंच रहे हैं। जानकारी के अनुसार नगर परिषद ज्वालामुखी के बाशिंदे अशोक कुमार ने अपनी जमीन में खुदाई का काम लगाया हुआ था।
इस दौरान मजदूरों को एक घड़े के अंदर दो पत्थर मिले। अशोक ने इन पत्थरों को नदी के किनारे रख दिया। वहीं दूसरे दिन इन पत्थरों को देखा तो अलग ही अनुभूति का अहसास हुआ।
अशोक ने बताया कि इसके बाद उन्होंने इन पत्थरों को उठाकर अपने साथ घर ले आए व किसी जानने वाले पंडित से इनकी जांच करवाई तो पता चला कि यह पत्थर तैरते हैं। इन पत्थरों का वजन लगभग छह किलो है।
अशोक का परिवार और गांव के लोग इसे भगवान राम का आशीर्वाद मानकर भजन कीर्तन कर रहे हैं। गांव वाले व अशोक का परिवार इन पत्थरों को रामसेतु का हिस्सा मान रहे हैं। पत्थरों के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं।