बिहार में यहां पर हैं स्वर्ण भंडार, अंग्रेजों की तोप भी हो गई थी नाकाम

हाल ही में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में सोने का भण्डार मिला हैं जो कि पूरी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बना हुआ हैं। हमारे देश में कई ऐसी रहस्यमयी जगहें हैं। ऐसी ही एक जगह हैं बिहार के राजगीर में जहां गुफा में सोने का भंडार बताया जाता हैं। लेकिन माना जाता हैं कि वहां से सोना निकलना नामुमकिन हैं और अंग्रेजों की तोप के गोले भी इसके सामने नाकाम हो गए थे और इस गुफा के दरवाजे पर कुछ भी असर नहीं हुआ था।

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सोने का यह भंडार बिहार के राजगीर में एक गुफा के अंदर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें मगध साम्राज्य के सम्राट यानी मौर्य शासक बिम्बिसार का बेशकीमती खजाना छुपा है, जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया है। इसे 'सोन भंडार' के नाम से जाना जाता है। दरअसल, राजगीर प्राचीन समय में मगध की राजधानी था। यही पर भगवान बुद्ध ने बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था। यह शहर भगवान बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।

हालांकि कुछ लोग इस खजाने को पूर्व मगध सम्राट जरासंघ का भी बताते हैं, लेकिन वहां इस बात के प्रमाण ज्यादा हैं कि यह खजाना बिम्बिसार का ही है, क्योंकि इस गुफा से कुछ दूरी पर उस जेल के अवशेष हैं, जहां अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना कर रखा था। सोन भंडार गुफा में प्रवेश करते ही पहले एक बड़ा सा कमरा आता है। कहते हैं कि यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। इसी कमरे की पिछली दीवार से खजाने तक पहुंचने का रास्ता बना हुआ है, जिसका द्वार एक पत्थर के दरवाजे से बंद किया हुआ है। इस दरवाजे को आज तक कोई नहीं खोल पाया है।

गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि मे कुछ लिखा हुआ है जो आज तक पढ़ा नहीं जा सका है। कहा जाता है कि इसमें ही खजाने के दरवाजे को खोलने का तरीका लिखा हुआ है, लेकिन इस लिपि को पढ़ने में दुनियाभर के लोग नाकाम रहे हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बिम्बिसार के खजाने तक पहुंचने का रास्ता वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, जो सोन भंडार गुफा की दूसरी ओर पहुंचती है। कहा जाता है कि अंग्रेजों ने एक बार तोप से खजाने के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वो इसे तोड़ नहीं पाए। तोप के गोले के निशान आज भी दरवाजे पर मौजूद हैं।