इस कोरोनाकाल में क्वारंटाइन शब्द बेहद आम हो चुका हैं। जो कोई भी कोरोना संदिग्ध पाया जाता हैं उसे 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाता हैं। यह इंसानों के लिए हैं। लेकिन दिल्ली के छतरपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया जहां 58 बंदरों को 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया गया हैं। इससे जुड़ा पूरा मामला बेहद हैरान करने वाला हैं। दरअसल ये बंदर छतरपुर स्थित राधा स्वामी सत्संग ब्यास परिसर में सरदार पटेल केयर सेंटर से पकडे गए हैं और विभाग को आशंका थी कि बंदर कोरोना मरीज का भोजन और कपड़े इत्यादि उठा रहे थे उनमें संक्रमण का खतरा हो सकता है। इस कारण वन विभाग ने एहतियात के तौर पर उन्हें अलग रखने के लिए यह कदम उठाया है, ताकि अभ्यारण्य के अन्य जानवरों में कोरोना का संक्रमण न फैल पाए।
अत्यधिक संक्रमित इलाकों से पकड़े जाने के कारण विभाग को यह आशंका थी कि बंदरों में भी कोरोना संक्रमण हो सकता है। इसलिए वन विभाग की टीम ने इन बंदरों को तुगलकाबाद के पशु बचाव केंद्र में क्वारंटाइन किया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पकड़े गए इनमें से किसी भी बंदर में कोरोना का कोई लक्षण नहीं पाया गया है। विभाग ने अब तक 20 बंदरों के एंटिजन टेस्ट किए हैं, जिसमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। बाकी के 30 बंदर अभी भी आइसोलेशन में ही हैं। आगे भी जो बंदर इस परिसर से पकड़े जाएंगे उन्हें भी जंगल में छोड़ने से पहले क्वारंटाइन किया जाएगा। असोला भाटी वन्य जीव अभ्यारण्य में तेंदुए, नीलगाय, सियार और साही आदि जानवर रहते हैं।बंदरों से बचने के लिए लगाए लंगूर के कटआउट
सरदार पटेल कोविड केयर सेंटर में बंदर न आएं, इसके लिए यहां लंगूरों के कटआउट लगाए गए हैं। इस सेंटर के आसपास ग्रामीण क्षेत्र होने के साथ यहां जंगल भी हैं, जहां से काफी संख्या में बंदर इस कोविड सेंटर पर खाने की तलाश में पहुंच रहे हैं जो मरीजों के खाने का सामान उठा ले जाते हैं। बंदर मरीजों के लिए खतरा भी बने हुए हैं। मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने नई पहल की है। इस पूरे सेंटर में जगह-जगह लंगूरों के कट आउट लगाए गए हैं, ताकि इनको देखकर बंदर यहां न आएं।