'ईद उल जुहा' अर्थात बकरीद Bakrid 2018 का त्योंहार आ चूका हैं और मुस्लिम सम्प्रदाय के सभी लोग इस त्योंहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्योंहार आपसी प्रेम और भाईचारे का त्योंहार हैं। इस दिन सभी लोग नमाज अदा करने के बाद एक-दूसरे के गले लगते है और सलामती की दुआ करते हैं। क्या अप जानते हैं कि आगरा की जामा मस्जिद में अदा करी गई नमाज का आपको 70 गुना शबाब मिलता हैं। ऐसा क्या है आगरा की इस जामा मस्जिद में आइये जानते है इसके बारे में।
शाहजहां की पुत्री जहां आरा ने आगरा Agra में जामा मस्जिद Jama Masjid बनवाई थी। इसके पीछे एक बड़ी वजह थी। जानकार बताते हैं कि जहांआरा ने शादी न करते हुए अपने हिस्से में आने वाली दौलत से इस मस्जिद को बनवाया था। मानना ये है कि जामा मस्जिद में नमाज अदा करते रहेंगे, तब तक जहांआरा की रूह को कयामत तक 70 गुना शबाब मिलता रहेगा। आज भी शहर में सबसे अधिक इसी मस्जिद पर नमाजियों की भीड़ जुटती है।
जामा मस्जिद का निर्माण 1648 में हुआ था। यह मस्जिद भारत की विशाल मस्जिदों से एक है। इस मस्जिद का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है और इसे सफेद संगमरमर से सजाया गया है। इसकी दीवार और छत पर नीले रंग के पेंट का प्रयोग किया गया है। इस मस्जिद में लाल बलुआ पत्थर से बने तीन विशाल गुबंद भी हैं। मस्जिद की दीवार में प्रयुक्त टाइल्स को ज्यामितीय आकृति से सजाया गया है। मस्जिद 130 फुट लम्बी एवं 100 फुट चौड़ी है। जामा मस्जिद में लकड़ी एवं ईंट का भी प्रयोग किया गया है।
जामा मस्जिद के परिसर में महान सूफी संत शेख सलील चिश्ती का मकबरा भी है। भारतीय मुस्लिम परिषद के मंडल अध्यक्ष इमरान कुरेशी ने बताया कि मस्जिद के नीचे तहखाने में जहांआरा की कब्र बनी हुई है। जिसका 20 वें रमजान पर उर्स मुबारक होता है। जादातर रोजेदार जहांरा की कब्र पर ही रोजा इफ्तार कर मुल्क शहर व देश में अमन भाईचारा कायम रहे इसके लिए दुआ करते हैं।