रक्तदान करना एक नेक काम है। आपके दान किए हुए रक्त से किसी इंसान को नया जीवन मिल जाए इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं होता। आज हम यहां इंसानों के रक्तदान की बात नहीं कर रहे हम बात कर रहे एक डॉग की जिसने रक्तदान करके दूसरे डॉग की जीवन को बचाया है। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में शहर से लगे रौंसरा गांव में जर्मन शेफर्ड नस्ल के 'जिमी' नाम के एनीमिक डॉग की जीवन रक्षा करने उसी नस्ल के 'लियो' नाम के डॉग से रक्तदान कराया गया। यह सब दो निजी पशु चिकित्सकों की देखरेख में किया गया, जिससे अब न केवल रक्तदाता 'लियो' डॉग स्वस्थ है बल्कि 'जिमी' की कमजोरी भी दूर हो रही है।
डॉग के खून की कमी के लिए रक्तदान के लिए उसी नस्ल के एक स्वस्थ डॉग की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मालिक वंदना जाटव ने प्रयास किए। नजदीकी ग्राम कोसमखेड़ा निवासी कृषक महेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा अपने डॉग का रक्तदान करने में सहयोग किया गया।
कृषक अपने डॉग को रक्तदान कराने के लिए गांव से आए और करीब 90 एमएल रक्त उनके डॉग के शरीर से निकालकर कमजोर बीमार डॉग को चढ़ाया गया। पशु धन संजीवनी केंद्र के डॉक्टर संजय मांझी ने बताया कि ब्लड डोनेट करने वाला डॉग स्वस्थ्य है। यह हमारे लिए प्रेरणा स्रोत्र है कि ब्लड डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता।
वेटनरी डॉक्टर संजय मांझी ने कुत्तों के ब्लड ग्रुप के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुत्तों में 12 तरह ब्लड ग्रुप होते हैं जिन्हें डॉग एरिथ्रोसाइट एंटीजन (DEA) कहते हैं। इनके नाम हैं डीईए-1.1, डीईए-1.2, डीईए-1.3, डीईए-4,डीईए-5, डीईए-6, डीईए-7, डीईए-2.11, डीईए-2.12,डीईए-2.13,डीईए-3.11, डीईए-3.12 इनमें से डीईए-2.11 ब्लड ग्रुप कॉमन होता है और 90 फीसदी कुत्तों में यही पाया जाता है।
रक्तदान के बारे में कुछ बड़ी भ्रांतियां- लोगों का मानना है कि रक्तदान करने से शरीर कमजोर हो जाता है। लेकिन ये बात सच नहीं है।
- अक्सर लोग ये मानते हैं कि रक्तदान करने की प्रक्रिया काफी तकलीफदेह होती है। इंजेक्शन की वजह से उन्हें लंबे समय तक दर्द झेलना पड़ेगा लेकिन ये बात भी सच नहीं है।
- लोगों को लगता है कि वो सिर्फ एक बार ही रक्तदान कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। एक स्वस्थ व्यक्ति साल में 4 बार रक्तदान कर सकता है। आप 3 महीने के अंतराल पर एक बार रक्तदान कर सकते हैं।
- लोग मानते हैं कि रक्तदान के बाद से सिर दर्द की समस्या बढ़ जाती है। लेकिन सच इससे बिल्कुल परे है। रक्तदान करने से ना तो किसी तरह का तनाव होता है और ना ही सिर दर्द की समस्या।
- लोग मानते हैं कि रक्तदान से रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती है, लेकिन ये सरासर गलत है।
- रक्तदान करने में काफी समय लगता है और यही सोचकर बहुत से लोग इस नेक काम को करने से चूक जाते हैं। लेकिन रक्तदान ज्यादा से ज्यादा आधे घंटे की प्रक्रिया है।
- रक्तदान के बाद लोगों को इंफेक्शन फैलने का डर रहता है। लेकिन ब्लड डोनेट करने के बाद किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता।
- अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो आप रक्तदान करने से ठीक एक घंटा पहले और बाद में स्मोकिंग नहीं कर सकते।
- अगर आपसे कोई ये बोले कि रक्तदान करने के बाद वजन घटता या बढ़ता है, तो बिल्कुल ना माने। रक्तदान करने के बाद आपके वजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।