इस ग्रह पर होती हैं हीरे की बारिश, रहता हैं हैरान करने वाला तापमान

इस सौर मंडल में कई चीजें ऐसी हैं जो आपको हैरान कर देती हैं और उनके बारे में सोचने पर मजबूर कर देती हैं। अब अब जरा सोचिए कि आप ऐसी जगह रहते हो जहां हीरे की बारिश होती हो तो कैसा रहे। जी हां, वरुण ग्रह ऐसा ग्रह हैं जहां हीरों की बारिश होती हैं। वरुण धरती से सबसे ज्यादा दूर है और खतरनाक भी, क्योंकि वहां का तापमान शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस नीचे रहता है। इतने में तो इंसान ऐसा जमेगा कि फिर वो किसी पत्थर की तरह टूट सकता है।

वरुण हमारे सौरमंडल का पहला ऐसा ग्रह था, जिसके अस्तित्व की भविष्यवाणी उसे बिना कभी देखे ही गणित के अध्ययन से की गयी थी और फिर उसे उसी आधार पर खोजा गया। यह तब हुआ जब अरुण की परिक्रमा में कुछ अजीब गड़बड़ी पायी गई जिसका अर्थ केवल यही हो सकता था कि एक अज्ञात पड़ोसी ग्रह उसपर अपना गुरुत्वाकर्षक प्रभाव डाल रहा है।

वरुण को पहली बार 23 सितंबर, 1846 को दूरबीन से देखा गया था और इसका नाम नेपच्यून रख दिया गया। नेपच्यून प्राचीन रोमन धर्म में समुद्र के देवता थे। ठीक यही स्थान भारत में वरुण देवता का रहा है, इसलिए इस ग्रह को हिंदी में वरुण कहा जाता है। रोमन धर्म में नेपच्यून देवता के हाथ में त्रिशूल होता था, इसलिए वरुण का खगोलशास्त्रिय चिन्ह त्रिशूल ही है।

वरुण ग्रह पर जमी हुई मीथेन गैस के बादल उड़ते हैं और यहां हवाओं की रफ्तार सौरमंडल के दूसरे किसी भी ग्रह से काफी ज्यादा है। यहां मीथेन की सुपरसोनिक हवाओं को रोकने के लिए कुछ भी नहीं है, इसलिए उनकी रफ्तार 1,500 मील प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। वरुण के वायुमंडल में संघनित कार्बन होने के कारण वहां हीरे की बारिश भी होती है। अगर इंसान कभी इस ग्रह पर पहुंच भी जाए तो इन हीरों को बटोर नहीं पाएगा, क्योंकि अत्यधिक ठंड के कारण वो वहीं पर जम जाएगा।