आदमखोर कहा जाने वाला यह खूंखार तानाशाह, करता था भारतीयों से बहुत नफरत

दुनिया में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जहां भारतीय नहीं रहते होंगे। भारतीय हर जगह फैले हुए हैं और देश का नाम कर रहे हैं। लेकिन इतिहास में एक तानाशाह ऐसा हुए हैं जिसे भारतीय पसंद नहीं थे जिस कारण से या तो भारतीय उस देश को छोड़कर चले गए या निकाल दिए गए। हम बात कर रहे हैं युगांडा के सनकी और खूंखार तानाशाह ईदी अमीन के बारे में जिसे इंसानियत का दुश्मन, हैवान, राक्षस और न जाने क्या-क्या कहा जाता था। कहते हैं कि युगांडा पर करीब आठ साल की तानाशाही में ईदी अमीन ने लाखों लोगों को मरवा दिया था। यही नहीं, उसने अपनी तानाशाही के दौरान भारतीय मूल के करीब 90 हजार लोगों को देश निकाला दे दिया था। कहा जाता है कि वो भारतीयों से नफरत करता था।

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बीबीसी के मुताबिक, ईदी अमीन की हुकूमत खत्म होने के बाद युगांडा में कई जगह लोगों की लाशें सड़ती हुई मिली थीं। तमाम सामूहिक कब्रों का पता चला था। वो वाकई में एक राक्षस था, जिसने अपने ही देश के लाखों लोगों का खून किया था। कहते हैं कि ईदी अमीन के सत्ता में आने से पहले युगांडा में एशियाई मूल (खासकर भारतीय) के लोगों का ही दबदबा था। देश के लगभग हर सिनेमाघर में हिंदी फिल्में चलती थीं। 70 के दशक में युगांडा की राजधानी कंपाला में ज्यादातर कारोबार भी एशियाई मूल के लोगों के हाथ में था। यहां तक कि वहां की सड़कों के नाम भी एशियाई मूल के लोगों के नाम पर ही थे।

साल 1971 में जब ईदी अमीन ने तख्तापलट किया तो युगांडा के हालात पूरी तरह से बदल गए। ईदी अमीन ने सेना की मदद से पूरे देश पर कब्जा कर लिया। कुछ दिनों तक तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन एक दिन अचानक ईदी अमीन ने भारतीय समेत एशियाई मूल के सभी लोगों को देश छोड़ने के आदेश दे दिए। इसके पीछे उसने तर्क दिया कि अल्लाह ने उससे कहा कि वो सारे एशियाइयों को अपने देश से तुरंत निकाल बाहर करे।

ईदी अमीन के शासन काल में स्वास्थ्य मंत्री रहे हेनरी केयेंबा ने एक किताब लिखी थी 'अ स्टेट ऑफ ब्लड: द इनसाइड स्टोरी ऑफ ईदी अमीन'। इस किताब में उन्होंने अमीन की दरिंदगी बयां की है। उन्होंने लिखा है कि एक बार अमीन अस्पताल के मुर्दाघर में गया था, जहां उसके दुश्मनों के शव रखे गए थे। उसने उन शवों के साथ क्या किया, यह तो किसी ने नहीं देखा, लेकिन कुछ युगांडावासियों का मानना है कि उसने अपने दुश्मन का खून पिया, जैसा कि काकवा जनजाति में प्रथा है। अमीन काकवा जनजाति से आता था।

केयेंबा ने अपनी किताब में लिखा है, 'कई बार राष्ट्रपति और दूसरे लोगों के सामने अमीन ने शेखी बघारी थी कि उसने इंसानों का मांस खाया है। मुझे याद है अगस्त 1975 में जब अमीन कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी जाएर यात्रा के बारे में बता रहा था तो उसने कहा कि वहां उसे बंदर का गोश्त परोसा गया जो कि मानव के गोश्त से अच्छा नहीं था। लड़ाई के दौरान अक्सर होता है कि आपका साथी सैनिक घायल हो जाता है। ऐसे में उसको मार कर खा जाने से आप भुखमरी से बच सकते हैं।'

कहा जाता है कि ईदी अमीन बहुविवाह में यकीन रखता था और उसने कम से छह महिलाओं से शादी की थी, जिसमें से तीन को उसने बाद में तलाक दे दिया था। अमीन के कितने बच्चे थे, इसके बारे में ठीक-ठीक किसी को भी नहीं पता, लेकिन अधिकांश का कहना है कि उसके 30 से 45 बच्चे थे।