आपने यह तो देखा ही होगा कि लोग किसी नौकरी में उसके मुताबिक़ योग्यता ना हो पाने के कारण आवेदन करने से वंचित रह जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह देखा हैं कि कोई अपने सरनेम की वजह से ही नौकरी में आवेदन नहीं कर पा रहा हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला प्रियंका नाम की एक लड़की के साथ। प्रियंका चूतिया समुदाय से आती है और उसका सरनेम चूतिया है। यह सुनने में अटपटा लगता है लेकिन ये सच है। कई अन्य जगहों पर यह शब्द एक गाली हैं लेकिन असल में यह एक समुदाय का नाम भी हैं।
हालांकि अधिकारियों से बातचीत के बाद उसका आवेदन पूरा हुआ लेकिन उसने जो परेशानी झेली उसको प्रियंका ने फेसबुक पर लोगों से शेयर किया जिसके बाद चूतिया आदिवासी समुदाय एक चर्चा का विषय बन गया है।
इस समुदाय के लोग असम में रहते हैं और अब लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं। ये आदिवासी समुदाय असम में कचारी वर्ग के लोग हैं जो अपनी जाति के रूप में चूतिया शब्द का इस्तेमाल करते हैं। यहां चूतिया को सूतिया भी कहा जाता है। इस जाति की आबादी असम में लगभग 20 से 25 लाख के बीच है।
असम के 'असमिया क्रॉनिकल' में 'चूतिया' समुदाय का इतिहास दर्ज है। बताया जाता है कि इस समुदाय का नाम सातवीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर आकर बसने वाले चूतिया किंग अस्सम्भिना के नाम पर रखा गया है। माना जाता है कि उस काल में चूतिया वंशजों ने वर्तमान के भारतीय राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश में अपने साम्राज्य का गठन किया सन 1187 से सन 1673 तक राज्य किया।
भारत सरकार ओबीसी यानि अन्य पिछड़ा वर्ग में चूतिया समुदाय को रखती है। ये समुदाय असमी भाषा बोलने वाले माने जाते हैं। समुदाय के अधिकतर लोग असम के ऊपरी और निचले जिलों के साथ बराक घाटी में रहते हैं। इस समुदाय के बारे में विकीपीडिया पर एक पेज भी बना रखा है।
इस शब्द के मतलब को लेकर किताब द डिबोनगियास में बिष्णुप्रसाद राभा, डब्ल्यूबी ब्राउन और पवन चंद्र सैकिया ने लिखा है। इसके अनुसार, चूतिया शब्द मूलतौर पर देओरी भाषा से आया है, और इसका मतलब है शुद्ध पानी के करीब रहने वाले लोग। इस मतलब में चू का अर्थ यानि शुद्ध या अच्छा, ति का मतलब पानी और या यानि उस भूमि में रहने वाले निवासी या लोग होता है।