चीन और ताइवान के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं और अब इस मतभेद में अनानास के कारण और दूरियां आ चुकी हैं। जी हां, आप सोच रहे होंगे कि अनानास की वजह से आखिर कैसे कोई विवाद हो सकता हैं। तप आपको जानकर हैरानी होगी कि यह बात सच हैं। दरअसल, अनानास ताइवान की अर्थव्यवस्था का काफी मजबूत आधार रहा है और ताइवान के अनानास का 90 फीसदी चीन को निर्यात किया जाता हैं। लेकिन हाल ही चीन ने ताइवान से आने वाले अनानास फल पर भी बैन लगा दिया है। इस प्रतिबंध के पीछे तर्क देते हुए चीन ने कहा है कि वहां से आने वाले अनानास में कीड़े पाए गए हैं। यानी इस फल को लेकर बायोसेफ्टी का मुद्दा है। ताइवान में चावल और चीनी के बाद तीसरा उत्पाद अनानास ही है, जो तेजी से निर्यात हो रहा है। इस देश में अनानास का उत्पादन इतने बड़े स्तर पर हो रहा है कि दुनिया में सबसे अधिक इस फल का उत्पादन करने वाला देश 'हवाई' भी इसे प्रतिद्वंदी की तरह देखने लगा है।
पिछले कुछ सालों से ताइवान में सालाना 420,000 टन के करीब अनानास की पैदावार हो रही है। कुल उत्पादन का लगभग 11 फीसदी फल दुनिया के 16 देशों में बेचा जा रहा है। इन देशों में चीन सबसे बड़ा खरीददार है, जो कुल आयात का 90 फीसदी हिस्सा ले लेता है। आपको बता दें कि साल 2020 में चीन ने इस देश से 41,661 टन अनानास खरीदा था, जिसकी लागत 1।5 बिलियन डॉलर रही। इसके बाद जापान, हांगकांग और सिंगापुर भी ताइवान से अनानास खरीदते हैं।
हालांकि, साल 2020 में ही चीन ताइवान के प्रति एकाएक सख्त हो गया। चीन ने शिकायत की थी कि ताइवान से आए फल की खेप में कीड़े लगे अनानास भी थे। साथ ही उसने इस बात के संकेत दिए थे कि बायोसेफ्टी को ध्यान में रखते हुए वह खरीददारी बंद कर सकता है। अब चीन ने बैन की आधिकारिक घोषणा कर दी है। वहीं दूसरी ओर ताइवान का विदेश मंत्रालय ने इसे अपने खिलाफ दुष्प्रचार बताते हुए ट्वीट कर कहा कि उसकी तरफ से भेजे जा रहे 100 प्रतिशत फल सख्त निगरानी से गुजरते हैं और बिल्कुल ठीक हैं।
ताइवान की इस बात में थोड़ा दम भी लगता है। क्योंकि चीन की ये पुरानी आदत है कि किसी भी देश से मतभेद बढ़ने पर वो उस देश पर कोई ना कोई आरोप लगाकर अपना व्यापारिक संबंध खत्म कर देता है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक तभी चीन ने ऑस्ट्रेलिया से कोयला, शराब, बीफ और झींगा मछली की खरीदी पर बैन लगा दिया था।