हर माता-पिता की चाहत होती है कि उनके बच्चों को गले से लगाकर प्यार किया जाए, खासतौर से तब जब बच्चे का जन्म हुआ ही हो। लेकिन आज हम आपको एक माता-पिता की ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जो अपने बच्चे को चाहकर भी गले नहीं लगा सकती हैं। इसके पीछे की सच्चाई इतनी दर्दनाक हैं कि आपकी आंखों से भी आंसू छलक पड़ेंगे। तो आइये जानते हैं पूरे मामले की सच्चाई।
अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाले विक्टर नावा और उनकी पत्नी एड्रियाना दुनिया के उन बदनसीब माता-पिता (Parents) में से एक हैं, जो अपने बच्चे को चाहकर भी छू नहीं सकते हैं। उनका बच्चा पांच महीने का हो चुका है, लेकिन आज तक उन्होंने उसे छुआ तक नहीं है, गले लगाना या प्यार करना तो दूर की बात है।
बच्चे का जन्म 14 मई, 2019 को कैलिफोर्निया के सेंट जोसेफ अस्पताल (Hospital) में हुआ था। बच्चे की मां एड्रियाना बताती हैं कि उन्होंने बड़े ही प्यार से अपने बच्चे का नाम एड्रीन रखा, लेकिन कुछ ही समय के बाद उन्हें पता चल गया कि उनके बच्चे के साथ कुछ को गड़बड़ है, क्योंकि वह बुरी तरह से कांप रहा था और दर्द के मारे रोए जा रहा था।
डॉक्टरों (Doctor) ने जब बच्चे की जांच की तो पता चला कि हैरान करने वाली बीमारी का पता चला। दरअसल, बच्चा 'एपीडरमोलिसिस बुल्लोसा' नामक त्वचा रोग से पीड़ित था। 'मेट्रो यूके' की रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक लाइलाज और दुर्लभ त्वचा रोग है, जो जानलेवा होती है।
'मेट्रो यूके' के मुताबिक, इस बीमारी (Disease) की वजह से शरीर की त्वचा पर घाव हो जाते हैं और त्वचा अपने आप शरीर से हट जाती है। इस बीमारी में मरीज को हद से ज्यादा जलन होती है। आमतौर पर इस बीमारी से बच्चे के जन्म के पहले साल के दौरान ही मौत हो जाती है, क्योंकि इसका मृत्यु दर 80 फीसदी से भी ज्यादा है।
बच्चे के पिता विक्टर बताते हैं कि जब एड्रीन का जन्म हुआ था, तो वो बेहद ही खुश थे, लेकिन जब उन्होंने बच्चे की अति संवेदनशील त्वचा (Skin) को देखा तो वो हैरान रह गए। उसकी त्वचा बिल्कुल किसी तितली की तरह थी, जो छूते ही हट जाती थी। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपने बच्चे की ये हालत देखी तो वो बिल्कुल शून्य में चले गए थे। उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
विक्टर बताते हैं कि एड्रीन को इस बीमारी से लड़ते हुए देखना बहुत भयानक लगता है, उसे हर रोज दर्द से लड़ते देखकर निराशा होती है। हमारे लिए यह बिल्कुल भी आसान नहीं है, क्योंकि एड्रीन का दर्द देखकर न तो हम सही से कुछ खा पाते हैं और ना ही सो पाते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एड्रीन को एंटीबायोटिक्स दवाएं दी जा रही हैं। उसके इलाज पर हर महीने 10-11 लाख रुपये खर्च होते हैं। अब चूंकि विक्टर और एड्रियाना के पास इतने पैसे हैं कि वो बच्चे का इलाज का इतना महंगा खर्च उठा सकें, इसलिए उन्होंने जन-सहयोग यानी क्राउड फंडिंग शुरू की है।