पहले समय में ऐसे होता था लाई डिटेक्टर टेस्ट, तरीका जानकर कांप जाएगी रूह, मुजरिम उगलने लगता था सच, VIDEO

लाई डिटेक्टर टेस्ट के बारे में सभी जानते होंगे कि यह टेस्ट अक्सर प्रचलित अपराधिक कांडों में सच उगलवाने के लिए किया जाता है। लाई डिटेक्टर टेस्ट दो प्रकार से किया जाता है, एक तो पॉलीग्राफ टेस्ट और दूसरा ब्रेन मैपिंग टेस्ट। लेकिन क्या आपको पता है कि पुराने समय में भी लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाता था, लेकिन उसका तरीका ऐसा था कि अपराधी सुनते ही सच बोलने लगता था।

खबरों के मुताबिक मिश्र का 'अयिदाह कबीला' कई सालों से लाई डिटेक्टर टेस्ट से सच का पता लगा लेता है। हालांकि बाकी जगह इस तरीको रोक दिया गया है। माना जाता है कि इस कबीले के लोग बिशाह परंपरा के तहत झूठ पकड़ते हैं। इस काबिले के सच जानने के तरीके को देखकर आपकी रूह कांप जाएगी। जी हां, इस टेस्ट को तो दूर अगर आप इस टेस्ट को करते भी देख लो, तो आप फटाफट सच बोल दोगे। माना जाता है कि इस कबीले के लोग बिशाह परंपरा के तहत झूठ पकड़ते हैं। इसमें एक लोहे की रॉड को आग में तपाकर गर्म किया जाता है। इसके बाद आरोपियों की जीभ पर लगाया जाता है।

इनकी मान्यताओं के अनुसार जो अपराधी होगा उसकी जीभ पर फफोले पड़ जाएंगे। इस मामले पर जर्मनी के एक चैनल DW ने विस्तृत रिपोर्ट भी की है, जिसका वीडियो इस खबर के अंत में देख सकते हैं। अयिदाह कबीले के लोगों का मानना है कि झूठा या अपराधी बेचैन होने लगता है और उसकी जीभ सूखने लगती है। जिसकी वजह से गर्म रॉड जीभ पर लगते ही फफोले पड़ जाते हैं। वहीं निर्दोष की जीभ पर लार रहती है और गर्म रॉड का असर नहीं रहता। अब यह तरीका कितना सही है या कितना गलत, इसका कहना मुश्किल है। लेकिन हां इसके बारे में सुनकर, बड़े से बड़े अपराधी की रूह जरूर कांप जाएगी।