अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बाल्सा के पेड़ की लकड़ी से ट्रांसपेरेंट लकड़ी विकसित की है, यह खिड़की में शीशे की जगह भी ले सकती है। ट्रांसपेरेंट लकड़ी को तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि यह कांच से 5 गुना अधिक गर्मी को झेलने में सक्षम है। वैज्ञानिकों का कहना है, यह शीशे का विकल्प साबित होगी क्योंकि शीशे का उत्पादन करने में हर साल 25 हजार टन कार्बन का उत्सर्जन होता है। जो खतरनाक है। वैज्ञानिकों का कहना है, यह ट्रांसपेरेंट लकड़ी शीशे की तरह टुकड़े होकर बिखरेगी नहीं बल्कि मुड़ जाएगी। यह लकड़ी ग्रीन हाउस गैसेज की एनर्जी को वेस्ट होने से रोकेगी। इस लकड़ी का प्रयोग बढ़ता है तो शीशे के उत्पादन के कारण होने वाले कार्बन का उत्सर्जन घटेगा। इससे जलवायु परिवर्तन के बुरे असर को कम किया जा सकेगा। इस लड़की को अमेरिका की मैरीलैंड और कोलोराडो की यूनिवर्सिटी ने मिलकर तैयार किया है। ऐसे तैयार हुई ट्रांसपेरेंट लकड़ी
बाल्सा के पेड़ साउथ और सेंट्रल अमेरिका में काफी पाए जाते हैं। ट्रांसपेरेट लकड़ी तैयार करने के लिए इसी पेड़ को क्यों चुना। इस पर वैज्ञानिकों का कहना है, यह पेड़ सूरज की रोशनी को अधिक एब्जॉर्ब करता है। इसलिए यह तेजी से बढ़ता है। इससे पहले भी ट्रांसपेरेंट लकड़ी को तैयार किया गया है लेकिन वर्तमान में जो प्रयोग हुआ है अब तक कि सबसे पारदर्शी लकड़ी है।
वैज्ञानिकों की टीम ने इस पेड़ की लकड़ी को ऑक्सीडाइजिंग बाथ में रखा। यह एक तरह का ब्लीचिंग सॉल्यूशन था। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि लकड़ी से प्रकाश को अवशोषित करने वाले तत्व खत्म हो जाएं। लकड़ी का हर हिस्सा ब्लीच में डूबने के बाद आरपार दिखने लगा। इसके बाद पॉलिविनायल अल्कोहल पॉलिमर मिलाया गया। इससे यह ट्रांसपेरेंट लकड़ी में पूरी तरह से तब्दील हुआ। बाद में इसे और साफ किया गया।