इस दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो अपने अनोखेपन के लिए जानी जाती हैं और उन्हें देखकर ही पता चल जाता हैं कि यह कितनी अलग हैं। कई जगहें ऐसी भी हैं जो अपने इतिहास के चलते आपको डराती हैं। आज हम आपको एक ऐसे आइलैंड के बारे में बताने जा रहे हैं जो पिछले 45 साल से वीरान पड़ा हैं और यहां का नजारा बेहद ही डरावना दिखाई देता हैं। हम बात कर रहे हैं जापान के शहर नागासाकी के तट पर स्थित बैटलशिप आइलैंड के बारे में। युद्धपोत के जैसे अपने आकार के कारण इस आइलैंड को बैटलशिप का नाम दिया गया था।
इस आइलैंड को हाशिमा द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। यह आइलैंड नागासाकी से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर है। मिस्तुबिशी ने इस आइलैंड को साल 1890 में खरीदा था और यहां जापान की पहली सबसे बड़ी नौ मंजिला कंक्रीट की इमारत का निर्माण कराया था। करीब 16 एकड़ में फैले इस आइलैंड पर साल 1959 में पांच हजार से भी ज्यादा लोग रहते थे। उस समय यह द्वीप दुनिया की सबसे घनी आबादी वाली जगहों में शुमार हो गया था। इस आइलैंड के पास ही एक कोयले की खदान थी, जहां 1887 से लेकर 1974 तक कोयले के खनन का काम हुआ। खदान में काम करने वाले मजदूर इसी आइलैंड पर रहते थे, लेकिन खदान बंद हो गई तो यहां रहने वाले लोगों ने भी आइलैंड छोड़ दिया। तब से यह वीरान ही पड़ा है।
रखरखाव के अभाव में इस आइलैंड पर बनी ऊंची-ऊंची इमारतें अब खंडहर हो गई हैं। यहां स्कूल से लेकर अस्पताल और रेस्टोरेंट तक सब थे, लेकिन अब सिर्फ यहां उनके खंडहर ही दिखते हैं। चूंकि यह आइलैंड चारों तरफ से कंक्रीट की मजबूत दीवारों से घिरा हुआ है, लेकिन जापान में अक्सर आने वाले तूफान के चलते इसे भी काफी नुकसान पहुंचा है। अब यहां का नजारा बेहद ही डरावना लगता है। कई सालों तक यह आइलैंड बंद रहा, जहां लोगों का जाना मना था, लेकिन 22 अप्रैल, 2009 को इसे दोबारा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। हालांकि फिर भी यहां बहुत कम ही लोग आते हैं। खास बात ये है कि इस आइलैंड पर कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। जापान में इसे औद्योगिक विरासत के तौर पर संजोने की पहल जारी है।