यह दुनिया रहस्यों से भरी हैं जिसमें आए दिन ऐसी कई चीजें सामने आती हैं जिनपर विश्वास कर पाना बहुत ही मुश्किल होता हैं। कई तो जगहें ही अपनेआप में रहस्यमयी होती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही जगह की जानकारी देने जा रहे है जो अपनेआप में बेहद ही अनोखी और अचरज वाली हैं। हम बात कर रहे हैं प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में 'टिल्टेपैक' नामक गाँव की। इस गाँव से जुड़ी अनोखी बात यह है कि यहां पर इंसान से लेकर जानवर तक सभी अंधे हैं। जी हाँ, यहां पर यहां पर कुत्ते बिल्ली और अन्य पालतू जानवर भी अंधे हैं। इस गांव में करीब 60 झोपड़ियां हैं जहां 300 के करीब रैड इंडियन रहते हैं। लेकिन इस गांव की विचित्र बात ये हैं कि यहां सभी अंधे हैं। घरों में न बिजली है न दीपक चूंकि यहां सभी लोग अंधे हैं तो यहां के किसी भी घर में बिजली या दीपक नहीं है। वहीं दिन और रात से खास फर्क नहीं पड़ता। चिड़ियों की आवाज से मालूम होता है कि दिन हो गया है तो लोग काम पर निकल जाते हैं। शाम को जब पक्षियों की आवाजें आना बंद हो जाती हैं तो लोग अपनी झोपड़ियों की ओर चले जाते हैं। ये लोग घने जंगलों के बीच रहते हैं और सभ्यता और विकास से काफी दूर हैं। सरकार भी मान चुकी है हार यह गांव घने जंगलों के बीच है और यहां रहने वाले जापोटेक जाति के लोग विकसित समाज से काफी दूर हैं। सरकार को जब इन लोगों की इस बीमारी के बारे में मालूम हुआ तो तो उनका इलाज करने की कोशिश की गई लेकिन ये बेकार रहा। सरकार ने इन लोगों को दूसरे स्थानों पर बसाने की कोशिश की लेकिन उनका शरीर अन्य जलवायु में स्वस्थ रह सके ये संभव नहीं दिखाई पड़ा और उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना पड़ा।
पत्थरों की झोपड़ी में रहते है यहां के लोग पत्थर की बनी झोपड़ियों में रहते हैं और पत्थरों पर ही सोते हैं। घरो में एक छोटे से द्वार के अलावा कोई रौशनदान या खिड़की नहीं होती। यहां पैदा होने वाले बच्चे आम बच्चों की तरह पूरी तरह सामान्य होते हैं लेकिन कुछ सप्ताह के बाद ही वे भी अंधे हो जाते हैं।