एक तरबूज की वजह से गई थी हजारों सैनिकों की जान, किस्सा बेहद हैरान करने वाला

भारत को अपने रोचक इतिहास के लिए जाना जाता है जिसमें कई ऐसे युद्ध हुए हैं जिनके किस्से और गौरवगाथा आज भी गाई जाती हैं। लेकिन कई युद्ध ऐसे भी हुए हैं जो जिनका कारण बेहद अजीब था। आज हम आपके एक ऐसे ही अजीब युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एक तरबूज की वजह से हजारों सैनिकों की जान चली गई थी। यह आज से करीब 375 साल पहले हुई घटना हैं जिसे 'मतीरे की राड़' के नाम से जाना जाता है। दरअसल, राजस्थान के कुछ हिस्सों में तरबूज को मतीरा कहा जाता है और राड़ का मतलब झगड़ा होता है। यह लड़ाई दुनिया की एकमात्र ऐसी लड़ाई है, जो सिर्फ एक फल की वजह से लड़ी गई थी।

'मतीरे की राड़' नामक लड़ाई 1644 ईस्वी में लड़ी गई थी। यह कहानी कुछ इस तरह है कि उस समय बीकानेर रियासत का सीलवा गांव और नागौर रियासत का जाखणियां गांव एक दूसरे से सटे हुए थे। ये दोनों गांव दोनों रियासतों की अंतिम सीमा थे। हुआ कुछ यूं कि तरबूज का एक पौधा बीकानेर रियासत की सीमा में उगा, लेकिन उसका एक फल नागौर रियासत की सीमा में चला गया। अब बीकानेर रियासत के लोगों का मानना था कि तरबूज का पौधा उनकी सीमा में है तो फल भी उनका ही हुआ, लेकिन नागौर रियासत के लोगों का कहना था कि जब फल उनकी सीमा में आ गया है तो वो उनका हुआ। इसी बात को लेकर दोनों रियासतों में झगड़ा हो गया और धीरे-धीरे ये झगड़ा एक खूनी लड़ाई में तब्दील हो गया।

कहते हैं कि इस अजीबोगरीब लड़ाई में बीकानेर की सेना का नेतृत्व रामचंद्र मुखिया ने किया था जबकि नागौर की सेना का नेतृत्व सिंघवी सुखमल ने। हालांकि दोनों रियासतों के राजाओं को तब तक इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था, क्योंकि उस समय बीकानेर के शासक राजा करणसिंह एक अभियान पर गए हुए थे जबकि नागौर के शासक राव अमरसिंह मुगल साम्राज्य की सेवा में थे। दरअसल, दोनों राजाओं ने मुगल साम्राज्य की अधीनता स्वीकार कर ली थी। जब इस युद्ध के बारे में दोनों राजाओं के पता चला तो उन्होंने मुगल दरबार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की। हालांकि तब तक बहुत देर हो गई। बात मुगल दरबार तक पहुंचती, उससे पहले ही युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में भले ही नागौर रियासत की हार हुई, लेकिन कहते हैं कि इसमें दोनों तरफ से हजारों सैनिक मारे गए।