मुस्लिम बेटी के निकाह में इस हिन्दू परिवार ने दी ऐसी दावत कि देखते रह गए लोग

आज पूरे देशभर में राजनीति के नाम पर तीखे वार किए जाते है और देश की एकता को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया जाता हैं। खासतौर से हिन्दू-मुस्लिम एकता पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं। जबकि यह जमीनी तौर पर देखने को नहीं मिलता हैं और हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल ही दिखाई देती हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला हाथीखाना क्षेत्र में जहां एक हिंदू महिला ने मुस्लिम युवती के निकाह के पहले सभी का भोजन रख मजहब की दीवारों को पीछे छोड़ दिया हैं। इस परिवार ने मिसाल कायम की हैं। हाथीखाना निवासी सज्जन कुंवर पति स्व।सरदारसिंह जादौन ने यह पहल की हैं।

सज्जन कुंवर के घर के पास ही युसूफ खान रहते हैं। वही युसूफ खान के तीन बेटे मजहर खान, आसिफ खान, आरिफ खान हैं व बेटी साजेदा बी भी है। इन परिवार में बचपन से ये चारों सज्जन कुंवर के यहां आकर उनके बेटे राजेंद्रसिंह व बेटी हेमकुंवर के साथ खेलकर बड़े हुए हैं। वही सज्जन कुंवर ने साजेदा बी को बेटी जैसा प्यार किया हैं और साजेदा बी भी उन्हें मां से अधिक प्यार करती है। जब मजहर खान (युसूफ खान के बेटा) का निकाह शनिवार को रतलाम निवासी नगमा के साथ हुआ, जबकि साजेदा का निकाह रविवार को इंदौर के मो. सोहेल काजी के साथ होगा।

निकाह के पहले ही सज्जन कुंवर ने शुक्रवार को 400 से ज्यादा व्यक्तियों का भोज रखा था। जिसमें सभी समाज के लोग सम्मलित हुए थे। बेटी के रूप में प्यार करने वाले सज्जन कुंवर ने अपने रिश्तेदार, समाजजन के अतिरिक्त युसूफ खान के परिवार व उनके रिश्तेदार भी इस भोज में सम्मलित हुए। वही इस भोज का सारा खर्च सज्जन कुंवर ने उठाया। जब यह बात वहां आने वाले लोगों को पता चली तो वे आश्चर्य में पड़ गए। इस वर्तमान दौर में इस प्रकार का कदम उठाना मिसाल है। साजेदा बी के बड़े पापा अंसार खान ने कहा कि सज्जन कुंवर की पत्नी ने साजेदा को यशोदा मैया की तरह प्यार किया है। वही साजेदा बी को जाहिदा बी ने जन्म दिया है,पर अधिकतर समय वह सज्जन कुंवर के यहां रही और पलकर बड़ी हुई है।

सज्जन कुंवर ने कहा कि साजेदा बी तीन साल पहले इंदौर में उर्दू और कुरआन की तालीम लेने गई थी। जहां वह डेढ़ साल तक रही थी। वही साजेदा बी को दाल-चावल काफी पसंद है। उसके जाने के पश्चात एक-दो बार दाल-चावल बनाए तो उसकी याद आने लगी। इसके पश्चात् घर में दाल-चावल नहीं बनाए गए ताक़ि साजेदा बी को सज्जन सिंह की परिवार की याद न आये। साजेदा बी के आने के पश्चात् दाल-चावल बनाना शुरू किए गए। जब साजेदा बी की शादी हुई तो निकाह के बाद साजेदा बी के विदाई की बात सुनने के बाद सज्जन कुंवर की आंखों में आंसू आ गए थे। यह खबर मजहब के नाम पर राजनीति करने वाले के लिए एक सिख हैं। इस खबर ने राजनीति रोटियां सेंकने वाले के लिए तमाचे का काम किया हैं। कुछ लोगों ने और असामाजिक तत्वों ने इस भाईचारे को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। अभी भी इस भाईचारे को कायम रखने के लिए लोग जिंदा हैं।