अमेरिकी शहर बॉस्टन में एक महिला को कोरोना वायरस संक्रमण की जांच और ट्रीटमेंट के लिए हॉस्पिटल की ओर से 26 लाख का बिल भेजा गया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फरवरी में एस्किनी ने सीने में दर्द की शिकायत, सांस लेने में दिक्कत और माइग्रेन की शिकायत की। अस्पताल में डॉक्टर ने एस्किनी की इन दिक्कतों को किसी दवा का रिएक्शन समझा और फिर उन्हें इमरजेंसी सर्विस में भेजा। यहां जांच में पाया गया कि एस्किनी को निमोनिया है और उन्हें घर भेज दिया गया। कुछ दिन बाद जब टेंपरेचर बढ़ने और कफ की शिकायत बढ़ी तब उनके कोरोना की जांच की गई। बीमारे के सातवें दिन हुए इस जांच में एस्किनी पॉजिटिव पाई गईं। कुछ दिनों बाद उन्हें हॉस्पिटल की ओर से जांच और ट्रीटमेंट के लिए 26 लाख से अधिक का बिल भेजा गया।
एस्किनी ने कहा- 'मैं बिल देखकर हैरान रह गई। मैं निजी तौर पर किसी को नहीं जानती जिनके पास इतने अधिक रुपये हों।' दरअसल, अमेरिका में 2 करोड़ 70 लाख लोगों को पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है। एस्किनी उन्हीं में से एक हैं। अमेरिका में कोरोना वायरस की जांच फ्री करने की घोषणा की गई है, लेकिन जानकारों को डर है कि लोगों को ट्रीटमेंट के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ सकती है। 18 मार्च को अमेरिका ने फैमिलीज फर्स्ट कोरोना वायरस रेस्पॉन्स एक्ट को लागू किया है। इसके तहत ही कोरोना वायरस की जांच मुफ्त की जाएगी। हालांकि, इस कानून में ट्रीटमेंट के खर्च को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
बता दे, दुनिया में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या शनिवार की सुबह तक 2,76,000 से अधिक है, वहीं मृतकों की संख्या 11,400 से अधिक हो गई है। भारत में भी कोरोना अपने पैर पसार रहा है। यहां 285 मामले सामने आ चुके है और चार लोग इस वायरस की वजह से जान गवां चुके है।