राजस्थान में शिक्षकों की भारी कमी, 2027 तक भर्तियों और पदोन्नति से भरेंगे खाली पद

जयपुर। राजस्थान के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ रहा है, क्योंकि वरिष्ठ अध्यापक और व्याख्याता जैसे दो प्रमुख पदों पर हजारों नियुक्तियां वर्षों से लंबित हैं। इस समय 1.09 लाख स्वीकृत वरिष्ठ अध्यापक पदों में से 37,249 पद और 57,194 व्याख्याता पदों में से 18,651 पद खाली हैं।

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) अब 2,129 वरिष्ठ अध्यापक और 2,202 व्याख्याता पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। लेकिन इसके बाद भी एक बड़ी संख्या में पद रिक्त रहेंगे, जिन्हें पदोन्नतियों (DPC) के जरिए भरा जाएगा।

पदोन्नतियों में वर्षों से देरी, कोर्ट में मामला लंबित

राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने बताया कि तृतीय श्रेणी से वरिष्ठ अध्यापक के लिए पिछले पांच वर्षों से कोई पदोन्नति नहीं हुई है, जिससे लगभग 30,000 पद खाली हैं। इसी तरह वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पद पर केवल दो साल की डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) हुई है, बाकी तीन साल लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले के चलते ये पदोन्नतियां रुकी हुई हैं।

स्टाफिंग पैटर्न से बनेंगे नए पद

शर्मा ने सुझाव दिया कि यदि सरकार स्टाफिंग पैटर्न लागू करती है, तो शिक्षा विभाग में लगभग 38,000 नए पद सृजित हो सकते हैं। ये पद नवक्रमोन्नत विद्यालयों के लिए होंगे, जहां हिंदी और अंग्रेजी विषयों के व्याख्याताओं की भारी कमी है। इनमें से 50% पद सीधी भर्ती से और बाकी पद पदोन्नति से भरे जा सकते हैं। उन्होंने मांग की कि 1 जुलाई से शुरू हो रहे नए सत्र से पहले सरकार पदोन्नति प्रक्रिया को पूरा करे, ताकि विद्यार्थियों को विषय शिक्षक मिल सकें।

50% पद एडवांस जोड़े जा रहे – शिक्षा सचिव

शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुणाल ने माना कि विभाग में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं और डीपीसी प्रक्रियाएं लंबित हैं। उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ साल में 28,000 शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है, जबकि 21,000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है।

मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि जो पद 2027 तक रिक्त होने की संभावना है, उनके आधार पर 50% अतिरिक्त पद एडवांस रूप से जोड़ दिए जाएं। चूंकि भर्ती प्रक्रिया लंबी होती है, इसलिए 2026-27 तक की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया गया है।

नई शिक्षा नीति के अनुसार वैकेंसी का पुनर्गठन

शिक्षा सचिव ने बताया कि अंतिम बार स्टाफिंग पैटर्न 2014 में लागू किया गया था। अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखते हुए नए कैडर और पदों का सृजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट में लंबित डीपीसी केस को वापस लेने की तैयारी है, जिससे 20,000 अतिरिक्त पद जल्द ही भरने के लिए उपलब्ध हो जाएंगे।

लक्ष्य – दो साल में शिक्षकों की वैकेंसी नगण्य करना

राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2027 तक शिक्षकों की रिक्तियों को लगभग समाप्त कर दिया जाए। इस योजना के अंतर्गत, सीधी भर्तियों के साथ-साथ लंबित डीपीसी को तेजी से निपटाने का प्रयास किया जा रहा है। यदि यह योजना समय पर क्रियान्वित होती है, तो आने वाले दो वर्षों में राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी लगभग समाप्त हो सकती है।