राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रशासनिक अनुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभागीय जांच से जुड़े आठ प्रकरणों पर निर्णायक कदम उठाए हैं। सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि प्रशासनिक शुचिता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होगा और नियमों के तहत दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
दो चिकित्सा अधिकारियों का सेवा से पदच्युत होनामुख्यमंत्री के निर्देश पर आयुर्वेद और पशुपालन विभाग के दो चिकित्सा अधिकारियों को आपराधिक प्रकरणों में दोष सिद्ध होने के आधार पर “सेवा से पदच्युत” किया गया है। यह कदम सरकारी सेवाओं में अनुशासन बनाए रखने और भ्रष्टाचार को रोकने के दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है।
नियम 16 के तहत पेंशन पर रोकराजस्थान सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियम 1958 के नियम 16 के अंतर्गत, सेवानिवृत्त राजकीय चिकित्सकों और एक कार्मिक के खिलाफ पेंशन रोकने का निर्णय लिया गया है। कुल मिलाकर तीन प्रकरणों में चार चिकित्सकों और एक कार्मिक की पेंशन रोकी गई। यह कदम गंभीर आरोपों और जांच निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
नियम 16 के अंतर्गत दो अन्य मामलों में, लंबे समय से अनुपस्थिति और अराजकीय आचरण के आरोपों की जांच के निष्कर्ष को राज्यपाल से अनुमोदन के लिए भेजने का निर्णय लिया गया है। इस कदम से कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी और प्रशासनिक जिम्मेदारी सुनिश्चित होगी।
नियम 17 में अपील पर राहतनियम 17 के एक प्रकरण में अपील स्वीकार की गई और संबंधित अधिकारी को राहत प्रदान की गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार हर मामले का निष्पक्ष और संतुलित मूल्यांकन कर रही है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रशासनिक शुचिता सर्वोच्च प्राथमिकता है। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ नियमों के तहत कठोर कार्रवाई जारी रहेगी और सरकार ईमानदारी और पारदर्शिता की रक्षा को हमेशा सर्वोपरि रखेगी।