
राजस्थान में विभिन्न प्राइवेट कैब कंपनियों से जुड़े ड्राइवरों की हड़ताल लगातार पांचवें दिन भी जारी रही। सारथी संघर्ष समिति की अगुवाई में यह आंदोलन निरंतर तेज हो रहा है, लेकिन अब तक ना तो राज्य सरकार और ना ही संबंधित कंपनियों की ओर से कोई संवाद या बातचीत हुई है। इस अनदेखी से नाराज़ कैब चालकों ने अब आंदोलन को और आक्रामक बनाने का फैसला किया है। इसी कड़ी में जयपुर प्रेस क्लब में संघर्ष समिति की बैठक बुलाई गई, जिसमें आंदोलन की आगामी रणनीति पर विचार हुआ। बैठक के बाद समिति ने स्पष्ट रूप से ऐलान कर दिया कि अब सड़कों पर उतरकर चक्काजाम और विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
सरकार और कंपनियों से नहीं हुई कोई बातचीतसंघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने NDTV से बातचीत करते हुए कहा कि हड़ताल को 5 दिन हो चुके हैं, लेकिन सरकार या कैब कंपनियों में से किसी ने भी उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं किया। समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी तरह से वाजिब हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान सामने नहीं आया है। कैब चालकों ने राज्य सरकार और प्राइवेट कंपनियों को पहले ही अल्टीमेटम दे दिया था, जिसकी समयसीमा अब समाप्त हो चुकी है। उनका कहना है कि यदि सरकार गीग वर्कर्स कानून को सही से लागू कर देती, तो आज उन्हें सड़कों पर उतरने की नौबत नहीं आती।
जयपुर में चक्काजाम की चेतावनीसारथी संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि जल्द ही राजधानी जयपुर की प्रमुख सड़कों पर चक्काजाम किया जाएगा। समिति के अनुसार यह निर्णय किसी साजिश या उग्र आंदोलन का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक मजबूरी है। ड्राइवरों का कहना है कि वे अब अपनी गाड़ियों की किश्तें तक नहीं चुका पा रहे हैं, कमाई ठप हो गई है और परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में आंदोलन को तेज करना ही उनके पास आखिरी विकल्प है।
कैब चालकों की 5 सूत्रीय प्रमुख मांगें- गाड़ी मालिकों के लिए न्यूनतम किराया तय किया जाए, ताकि उन्हें स्थिर आमदनी मिल सके।
- गीग वर्कर्स कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, ताकि श्रमिक अधिकार सुनिश्चित हो सकें।
- कंपनियों की मनमानी कमीशन दरों पर रोक लगाई जाए और उनका पुनर्निरीक्षण किया जाए।
- ट्रिप पेमेंट्स में पारदर्शिता हो, जिससे चालकों को वास्तविक भुगतान और कमाई की जानकारी मिले।
- ड्राइवरों को बीमा, पीएफ और मेडिकल जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलें, जिससे वे भी अन्य कर्मचारियों की तरह संरक्षित हों।