भरतपुर: महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में परीक्षा परिणाम में बड़ी चूक, 4500 छात्र फेल घोषित, छात्रों में आक्रोश

भरतपुर। महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों के स्नातक प्रथम वर्ष के लगभग 4500 छात्रों के लिए अचानक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। सितंबर 2024 में जारी प्रथम सेमेस्टर के परिणाम में पास घोषित किए गए छात्र अब अप्रैल 2025 में आए प्रथम वर्ष के संशोधित परिणाम में एक या अधिक विषयों में फेल या बैक घोषित किए गए हैं। इस गड़बड़ी से लगभग 20 प्रतिशत छात्रों का परिणाम प्रभावित हुआ है।

मूल कारण और नीति में बदलाव


परीक्षा नियंत्रक डॉ. फरवट सिंह ने बताया कि यह चूक नई शिक्षा नीति (NEP) के नियमों को सही से लागू न करने के कारण हुई। पुराने नियमों के तहत कुल 36 प्रतिशत अंक पास के लिए पर्याप्त थे, लेकिन नई नीति में प्रायोगिक (प्रैक्टिकल) और सैद्धांतिक (थ्योरी) दोनों में न्यूनतम 40-40 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर दिए गए हैं। साथ ही, इंटरनल मार्क्स का भी प्रावधान है, जो केवल तभी जोड़ा जाएगा जब छात्र थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों में न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक प्राप्त कर लें।

गड़बड़ी कैसे हुई


प्रारंभ में इस नए नियम को ठीक से समझा नहीं गया और दोनों प्रकार के अंकों को जोड़कर परिणाम घोषित कर दिए गए। जब गलती का पता चला तो विश्वविद्यालय ने संशोधन कर परिणामों को दोबारा जारी किया, जिससे कई छात्र फेल हो गए या बैक हो गए।

छात्रों की समस्या

कई छात्रों ने कहा कि यह केवल नीति परिवर्तन नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही भी है। डीग जिले के मास्टर आदित्येन्द्र कॉलेज की छात्रा कनिष्का शर्मा ने बताया कि पहले सत्र में इंग्लिश विषय में उन्हें बैक मिला था, लेकिन अंतिम परिणाम में अनुपस्थित दिखाया गया है। यह दर्शाता है कि न केवल मूल्यांकन में, बल्कि डेटा एंट्री और परिणाम दर्ज करने में भी गंभीर त्रुटि हुई है।

प्रभाव और विरोध

लगभग 4500 छात्र इस स्थिति से प्रभावित हैं, जो कुल प्रथम वर्ष के लगभग 20 प्रतिशत हैं। छात्रों को न केवल आगे की पढ़ाई में बाधा आ रही है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं में आवेदन की योग्यता भी प्रभावित हो सकती है। डीग जिले के छात्रों ने एसडीएम को ज्ञापन देकर इस गलती पर विरोध जताया है।

विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया


परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि अब विश्वविद्यालय ने रिवैल्यूएशन (पुनर्मूल्यांकन) की सुविधा शुरू कर दी है। छात्र 5 जून 2025 तक पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और जल्द सुधार का प्रयास कर रहा है।