महाराष्ट्र की सियासत में एक दुर्लभ पल देखने को मिला, जब करीब दो दशक बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक ही मंच पर साथ नजर आए। यह मौका था, जब महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले को वापस लेने की घोषणा का स्वागत किया जा रहा था। इस मौके पर दोनों भाइयों ने खुलकर अपनी बात रखी और केंद्र तथा महाराष्ट्र सरकार पर तीखे शब्दों में हमला बोला।
राज्य में भाषा के नाम पर भड़क रही हिंसा पर बोलते हुए राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं को एक अलग तरह की सलाह दे डाली। उन्होंने कहा कि जब कोई जरूरत से ज़्यादा नाटक करे तो जवाब देना जरूरी हो जाता है। राज ने कहा– अबकी बार किसी के कान के नीचे बजाओ तो उसका वीडियो मत निकालना, यानी अब प्रतिक्रिया दें लेकिन मीडिया या सोशल मीडिया के लिए तमाशा न बनाएं।
मंच से दिया विवादास्पद संदेशउद्धव ठाकरे के साथ खड़े होकर राज ठाकरे ने कार्यकर्ताओं को मीरा रोड की उस घटना की याद दिलाई, जहां एक व्यापारी की हत्या ने शहर को हिला दिया था। राज ने भावुक होकर कहा, क्या किसी के माथे पर लिखा होता है कि वह किस जाति या समुदाय से है? उन्होंने साफ किया कि किसी को बेवजह नुकसान पहुंचाना सही नहीं है, लेकिन अगर कोई हद से आगे जाए, तो उसका इलाज जरूरी है।
मारो, लेकिन वीडियो मत बनाओ, यह वाक्य भीड़ को चौंका गया और कई लोगों में हंसी की लहर भी दौड़ गई। लेकिन इस वाक्य के पीछे उनके गुस्से और रणनीति दोनों की झलक साफ थी।
फडणवीस और केंद्र सरकार पर तंजराज ठाकरे ने मंच से कहा– अगर तुम्हारे पास विधानभवन की सत्ता है तो हमारे पास सड़कों की सत्ता है। यह बात उन्होंने बेहद आत्मविश्वास और तंज के साथ कही। आगे उन्होंने बताया कि राज्य के शिक्षा मंत्री खुद उनसे मिलने आए थे, लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि जो मराठी भाषा के खिलाफ जाएगा, उसे वो नहीं मानेंगे।
राज ने कहा– मैं उनकी बात सुनूंगा जरूर, पर मानूंगा नहीं। यह वाक्य मंच से सुनते ही मौजूद भीड़ ने तालियों की गूंज से जवाब दिया।
इस आयोजन में सिर्फ भाषण नहीं, एक भावनात्मक जुड़ाव भी दिखा – जहां दो भाइयों की पुरानी दूरी खत्म होती दिखी और महाराष्ट्र की मराठी अस्मिता को फिर से आवाज मिली।