जब तक पूरी न हो सुनवाई, मृतक के स्पर्म को सुरक्षित रखें: बॉम्बे हाईकोर्ट का IVF सेंटर को निर्देश, मां बोली- बेटे का वंश बढ़ाना चाहती हूं

मुंबई में एक अनोखा और संवेदनशील मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने अपने मृत बेटे के वंश को आगे बढ़ाने की इच्छा जताते हुए उसके संरक्षित स्पर्म को सुरक्षित रखने की याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रजनन केंद्र को अंतरिम आदेश में निर्देश दिया है कि वे मृतक के स्पर्म को अगली सुनवाई तक सुरक्षित रखें। अदालत ने इस याचिका को प्रजनन अधिकार, नैतिकता और नए कानूनों के परिप्रेक्ष्य में बेहद महत्वपूर्ण करार दिया है।

क्या है मामला?

मृतक युवक कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी से गुजर रहा था। इसी दौरान उसने एक प्रजनन केंद्र में अपने वीर्य को सुरक्षित रखने का निर्णय लिया था, ताकि भविष्य में उसका उपयोग संभव हो सके। लेकिन युवक ने अपनी मृत्यु की स्थिति में स्पर्म को नष्ट कर देने की स्पष्ट सहमति अपने दस्तावेज़ों में दी थी। दुर्भाग्यवश फरवरी 2025 में उसकी मृत्यु हो गई।

मां की अपील: बेटे ने बिना परिवार से राय लिए लिया फैसला

मृतक युवक की मां ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए यह कहा कि उसका बेटा अविवाहित था और उसने परिवार के अन्य सदस्यों से परामर्श किए बिना यह निर्णय लिया था कि मृत्यु के बाद उसका वीर्य नष्ट कर दिया जाए। महिला का कहना है कि वह अपने बेटे के वंश को आगे बढ़ाना चाहती हैं, जिसके लिए स्पर्म को नष्ट करना उचित नहीं होगा।

प्रजनन केंद्र ने किया इनकार, अदालत में पहुंची मां

महिला ने जब प्रजनन केंद्र से अनुरोध किया कि स्पर्म को गुजरात के एक आईवीएफ सेंटर में स्थानांतरित कर दिया जाए, तो उसे इनकार कर दिया गया। केंद्र ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई कदम उठाने के लिए उन्हें कानूनी अनुमति चाहिए, विशेषकर सहायक प्रजनन तकनीक (ART) अधिनियम, 2021 के तहत, जो इन प्रक्रियाओं को नैतिक दायरे में रखने और दुरुपयोग से बचाने के लिए बनाया गया है।

अदालत का आदेश: सुनवाई पूरी होने तक सुरक्षित रखें स्पर्म

25 जून को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मनीष पितले की पीठ ने कहा कि यदि स्पर्म को इस दौरान नष्ट कर दिया गया तो याचिका ही निरर्थक हो जाएगी। अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट रूप से कहा, इस बीच, अंतरिम निर्देश के रूप में, प्रजनन केंद्र को याचिका के लंबित रहने के दौरान मृतक के वीर्य को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाता है।

अगली सुनवाई 30 जुलाई को

इस मामले में अगली सुनवाई अब 30 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है। तब तक प्रजनन केंद्र को कोई भी कार्रवाई करने से रोका गया है और मृतक के स्पर्म को जस का तस सुरक्षित रखने का आदेश दिया गया है।

कानूनी और नैतिक जटिलताएं

यह मामला भारत में प्रजनन अधिकारों, मृतक की इच्छाओं और पारिवारिक भावनाओं के बीच संतुलन का प्रतिनिधित्व करता है। एक ओर, मृतक की लिखित सहमति है कि उसके बाद स्पर्म का उपयोग न किया जाए, वहीं दूसरी ओर, उसकी मां की भावनात्मक अपील और पारिवारिक वंश को बनाए रखने की इच्छा है। यह मामला ART अधिनियम 2021 के तहत भविष्य की कई जटिलताओं की ओर भी संकेत करता है, जिसमें मृतक के प्रजनन सामग्री से जुड़ी इच्छाओं और अधिकारों की स्थिति स्पष्ट नहीं है।

यह मामला सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं बल्कि समाज में बदलते हुए नैतिक और पारिवारिक मूल्यों का भी प्रतीक है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में संतुलन बनाते हुए यह सुनिश्चित किया है कि मामले की पूरी सुनवाई से पहले कोई भी अपरिवर्तनीय कदम न उठाया जाए। आने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि क्या मृतक के स्पर्म का उपयोग मां के आग्रह पर किया जा सकता है या मृतक की पूर्व स्वीकृति ही सर्वोपरि मानी जाएगी।