'अभी तो विपक्ष में 20 साल और बिताने पड़ेंगे…', लोकसभा में जयशंकर को टोकना कांग्रेस को पड़ा भारी, अमित शाह का तीखा पलटवार

सोमवार को जब विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तार से सरकार का पक्ष रख रहे थे, उसी दौरान जब वे अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संघर्षविराम से जुड़े कथित मध्यस्थता दावे का खंडन कर रहे थे, तो विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध और शोर-शराबा शुरू कर दिया। इस असहमति ने गृह मंत्री अमित शाह को खासा नाराज कर दिया और उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस की जगह अब विपक्ष की बेंच ही रह गई है और वह अगले दो दशकों तक वहीं टिकेगी।

अमित शाह ने तीखे लहजे में कहा कि जब देश के विदेश मंत्री संसद में खड़े होकर संवेदनशील विषयों पर तथ्य रख रहे हों, तब बार-बार उन्हें बीच में टोकना न केवल असंवेदनशीलता है, बल्कि यह दर्शाता है कि विपक्ष अब तथ्यों की राजनीति नहीं कर रहा। उन्होंने कहा, “मुझे एक गंभीर आपत्ति है। जब भारत का विदेश मंत्री राष्ट्रहित में कुछ कह रहा है, तो विपक्ष को उस पर विश्वास नहीं है। लेकिन किसी विदेशी नेता की बात पर उन्हें सहज भरोसा हो जाता है।”

शाह ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, “मैं समझ सकता हूं कि कांग्रेस पार्टी में विदेशी संबंधों को कितना महत्व दिया जाता है। पर इसका यह मतलब नहीं है कि पार्टी की विचारधारा संसद पर थोपने का प्रयास किया जाए।” उन्होंने दो टूक कहा, “कांग्रेस की यही कार्यशैली उन्हें आज विपक्ष में ला बैठाई है और अगले 20 साल वे यहीं बैठे रहेंगे।”

ट्रंप की मध्यस्थता को लेकर क्या बोले जयशंकर?

डॉ. एस. जयशंकर ने सदन में डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे का खंडन किया जिसमें उन्होंने संघर्षविराम में अपनी मध्यस्थता की बात कही थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने किसी भी परिस्थिति में बाहरी हस्तक्षेप को मान्यता नहीं दी और ना ही पाकिस्तान की परमाणु धमकियों के आगे झुका। जयशंकर ने बताया, “10 मई को कुछ अंतरराष्ट्रीय कॉल्स के जरिए यह संकेत दिया गया कि पाकिस्तान संघर्षविराम के लिए इच्छुक है। भारत की ओर से साफ कहा गया कि अगर पाकिस्तान गंभीर है तो उसे डीजीएमओ के माध्यम से औपचारिक अनुरोध भेजना चाहिए।”

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका के साथ इन वार्ताओं के दौरान व्यापार या किसी अन्य मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई। विपक्ष की आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने यह भी जोड़ा, “22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई प्रत्यक्ष संवाद नहीं हुआ था।” उन्होंने आगे बताया, “22 अप्रैल को ट्रंप ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी से बात की थी और 17 जून को कनाडा दौरे के दौरान दोनों नेताओं की टेलीफोन पर बातचीत हुई थी।”

'ऑपरेशन सिंदूर' को विश्व समुदाय से व्यापक समर्थन

विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त समर्थन मिला है। उन्होंने लोकसभा में जानकारी दी कि संयुक्त राष्ट्र के कुल 193 सदस्य देशों में से केवल चार देशों ने इस ऑपरेशन का विरोध किया, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है। जयशंकर ने कहा, “यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) में पाकिस्तान की सदस्यता के कारण भारत को कुछ रणनीतिक चुनौतियाँ जरूर थीं, लेकिन 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद के बयान में साफ तौर पर और सख्त शब्दों में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की गई।”

उन्होंने आगे कहा, “पाकिस्तान के अलावा सिर्फ तीन अन्य देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया, जबकि शेष सभी ने भारत की कार्रवाई का समर्थन करते हुए इसे आतंक के खिलाफ मजबूत कदम बताया।”