
पुणे, खड़कवासला। पुणे के खड़कवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के इतिहास में 30 मई 2025 का दिन एक ऐतिहासिक मोड़ बन गया, जब पहली बार महिला कैडेट्स ने पुरुष कैडेट्स के साथ कदम से कदम मिलाते हुए पासिंग आउट परेड में हिस्सा लिया। 148वीं पासिंग आउट परेड में 17 महिला कैडेट्स ने स्नातक होकर यह साबित कर दिया कि अब भारतीय सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता की ओर निर्णायक कदम उठाया जा चुका है। यह उपलब्धि सिर्फ सैन्य क्षेत्र में नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए ‘नारी शक्ति’ की नई पहचान बनकर सामने आई है।
इस ऐतिहासिक मौके पर 300 से अधिक पुरुष कैडेट्स के साथ इन महिला कैडेट्स ने भी परेड की शान बढ़ाई। अब वे भारतीय सेनाओं में विभिन्न पदों पर योगदान देंगी।
यह अंत नहीं, नई शुरुआत है – जनरल वी.के. सिंहपरेड के मुख्य अतिथि मिज़ोरम के राज्यपाल और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल विजय कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) ने इस अवसर को महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पड़ाव बताया। उन्होंने कहा: “आज का दिन सिर्फ एनडीए के इतिहास में नहीं, बल्कि भारत के रक्षा इतिहास में भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह 'नारी शक्ति' का जीता-जागता उदाहरण है। इन कैडेट्स की ट्रेनिंग का अंत नहीं, बल्कि नए अवसरों की शुरुआत है।”
जनरल सिंह ने एनडीए की संवेदनशील और सहज एकीकरण प्रणाली की तारीफ करते हुए कहा कि आज परेड में महिला और पुरुष कैडेट्स में कोई भेद नहीं दिखा, और यही असली बदलाव है।
एक तस्वीर, एक बदलावइस विशेष मौके पर आयोजित औपचारिक फोटो सेशन में पास होने वाली 17 महिला कैडेट्स को गर्व के साथ खड़ा देखा गया — एक समावेशी सैन्य भविष्य की तस्वीर के रूप में।
यह तस्वीरें उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं, जो रक्षा बलों में शामिल होने का सपना देखती हैं।
महिला कैडेट्स की यह उपलब्धि क्यों है खास?—पहली बार एनडीए में महिलाएं ट्रेनिंग लेकर पास हुईं।
—अब ये कैडेट्स भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना में अधिकारी के तौर पर सेवाएं देंगी।
—यह घटना भारतीय सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।