हरियाणा में बिजली हुई महंगी: स्लैब बदले, फिक्स चार्ज में बढ़ोतरी, आम उपभोक्ता की जेब पर पड़ेगा सीधा असर

हरियाणा के बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर महंगाई का तगड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए नई बिजली टैरिफ दरें जारी की हैं, जिनमें यूनिट दरों से लेकर फिक्स चार्ज तक में बढ़ोतरी की गई है। खास बात यह है कि यह नई दरें 1 अप्रैल 2025 से ही लागू मानी जा रही हैं, जिससे करीब 81 लाख उपभोक्ताओं को इसका सीधा असर झेलना पड़ेगा।

टैरिफ में बढ़ोतरी और स्लैब में बदलाव से घरेलू बजट पर असर

हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (HERC) ने राज्य की बिजली कंपनियों के 4,520 करोड़ रुपये के घाटे को पाटने के लिए घरेलू, औद्योगिक और कृषि उपभोक्ताओं पर बढ़ा हुआ बोझ डाल दिया है। नई दरों के अनुसार अब 0-50 यूनिट पर 20 पैसे, 51-100 यूनिट पर 20 पैसे और 0-150 यूनिट की स्लैब पर भी 20 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है। 301 से 500 यूनिट और उससे ऊपर की खपत पर भी दरें बढ़ी हैं।

इस बार स्लैब संरचना में बड़ा बदलाव करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि 300 यूनिट तक मासिक खपत वाले घरेलू उपभोक्ताओं से कोई फिक्स चार्ज नहीं लिया जाएगा, जबकि अधिक खपत वालों के लिए प्रति किलोवाट 50 रुपये फिक्स चार्ज जोड़ा गया है।

फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट से दोहरा बोझ

बिजली की बढ़ी दरों के अलावा सरकार ने पहले से लागू फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट (FSA) को वर्ष 2026 तक बढ़ा दिया है। इसके तहत 200 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 47 पैसे और हर महीने औसतन 94.47 रुपये अतिरिक्त देने होंगे। हालांकि 200 यूनिट तक की खपत करने वालों को इससे छूट दी गई है।

गर्मियों में खपत बढ़ने पर भारी असर

मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह बढ़ोतरी गर्मियों के मौसम में और अधिक बोझिल साबित हो सकती है। एसी, कूलर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के चलते खपत बढ़ने पर 300 यूनिट से अधिक खर्च करने वालों को न केवल बढ़ी हुई दरें चुकानी होंगी, बल्कि फिक्स चार्ज और एफएसए का बोझ भी सहना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई परिवार 100 यूनिट खपत करता है, तो उसे पहले से 20 रुपये अधिक भुगतान करना होगा।

औद्योगिक और कृषि क्षेत्र पर भी पड़ेगा असर


औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली दरों में भी 10 से 40 पैसे प्रति यूनिट तक की वृद्धि की गई है। बल्क सप्लाई, हाई टेंशन और एलटी सप्लाई पर भी अतिरिक्त भार डाला गया है। वहीं कृषि उपभोक्ताओं की दरें 6.48 रुपये से बढ़ाकर 7.35 रुपये प्रति यूनिट की गई हैं, हालांकि उन्हें सब्सिडी के चलते सिर्फ 10 पैसे प्रति यूनिट ही देना होगा। लेकिन इस सब्सिडी का वित्तीय भार राज्य सरकार पर आएगा, जो अंततः उपभोक्ताओं को ही प्रभावित कर सकता है।

क्या कहती है सरकार?

बिजली दरों में इस वृद्धि के पीछे आयोग का तर्क है कि घाटे को कम करने और बिजली वितरण प्रणाली को टिकाऊ बनाने के लिए यह कदम जरूरी है। अधिकारियों का कहना है कि फिक्स चार्ज में वृद्धि से सिस्टम को स्थिर आय मिलेगी और वितरण प्रणाली में सुधार के लिए फंड जुटाया जा सकेगा।

हरियाणा में बिजली दरों में की गई यह बढ़ोतरी आम जनता की जेब पर सीधा प्रभाव डालने वाली है। नई टैरिफ संरचना और एफएसए जैसे अतिरिक्त बोझ के साथ-साथ गर्मियों में बढ़ती खपत, मध्यमवर्गीय और औद्योगिक वर्ग के लिए चिंता का कारण बन सकती है। बिजली वितरण प्रणाली के वित्तीय संतुलन के लिए उठाया गया यह कदम उपभोक्ताओं के घरेलू बजट को असंतुलित कर सकता है।