बीमार मां से मिलने की इजाज़त, 5 दिन की अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आएगा आसाराम का बेटा नारायण साईं

गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार (18 सितंबर) को एक अहम फैसला सुनाते हुए स्वयंभू संत आसाराम के बेटे और रेप के दोषी नारायण साईं को 5 दिन की अस्थायी जमानत प्रदान की है। अदालत ने यह राहत मानवीय आधार पर उनकी बीमार मां से मुलाकात के लिए दी। नारायण साईं वर्तमान में सूरत की लाजपोर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसने अदालत से गुहार लगाई कि उसे अपनी मां से मिलने दिया जाए, क्योंकि वह फरवरी 2021 के बाद से उनसे नहीं मिल पाया है। बताया गया कि उनकी मां गंभीर हृदय रोग से पीड़ित हैं और स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। इसी कारण उसने मुलाकात के लिए कोर्ट से इजाज़त मांगी थी।

सरकार और पीड़िता पक्ष का विरोध

इस याचिका का राज्य सरकार और पीड़िता की ओर से कड़ा विरोध किया गया। उनका तर्क था कि मेडिकल रिकॉर्ड में ऐसी कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है जिससे यह साबित हो कि साईं की मां की हालत नाजुक है। बावजूद इसके, अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और जेल में अब तक बिताई गई अवधि पर विचार करने के बाद साईं को अस्थायी जमानत देने का निर्णय लिया।

निगरानी में रहेगी जमानत अवधि

कोर्ट ने जमानत को सख्त शर्तों के साथ मंजूरी दी। आदेश के अनुसार, नारायण साईं इन 5 दिनों के दौरान केवल अहमदाबाद स्थित अपनी मां के निवास पर ही रहेगा। इस दौरान उसकी गतिविधियां पुलिस निगरानी में होंगी और उसे कहीं और जाने की इजाज़त नहीं होगी।

अनुयायियों से दूरी बनाए रखनी होगी

अदालत ने साफ निर्देश दिया है कि जमानत की अवधि में साईं अपने किसी भी अनुयायी से मुलाकात नहीं करेगा और न ही आसाराम के समर्थकों से समूह में संपर्क साधेगा। अदालत ने यह भी कहा कि जमानत की अवधि पूरी होते ही उसे तुरंत सूरत की लाजपोर जेल वापस भेज दिया जाएगा।

केवल मानवीय आधार पर राहत

जज इलेश वोरा ने आदेश में स्पष्ट किया कि यह राहत केवल मानवीय दृष्टिकोण से दी गई है ताकि साईं अपनी मां से मिल सके। अदालत ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया है कि 5 दिनों की अवधि पूरी होते ही उसे बिना किसी देरी के वापस जेल भेजा जाए। गौरतलब है कि आसाराम और उसका बेटा नारायण साईं दोनों ही रेप मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं और फिलहाल सजा काट रहे हैं। यह आदेश केवल अस्थायी राहत है, जिसका उद्देश्य परिवार से मुलाकात सुनिश्चित करना है।