गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार, 29 जुलाई 2025 को संसद में ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में सरकार का रुख स्पष्ट किया और बताया कि कैसे इस साहसिक कार्रवाई से देश की सुरक्षा को मजबूती मिली। उन्होंने कहा कि जब पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने निर्दोष नागरिकों पर हमला किया, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णायक नेतृत्व का परिचय देते हुए इस जवाबी ऑपरेशन की मंजूरी दी।
धर्म के आधार पर की गई हिंसा की निंदासदन में बोलते हुए शाह ने कहा, “मैं उस नृशंसता की कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें आतंकियों ने लोगों की पहचान उनके धर्म के आधार पर कर उन्हें निशाना बनाया। यह मानवता के खिलाफ अपराध है और हम पीड़ित परिवारों के साथ पूरी संवेदना रखते हैं।” उन्होंने बताया कि इस कायराना हमले का जवाब ऑपरेशन सिंदूर के ज़रिए दिया गया, जिसमें पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया गया।
ऑपरेशन महादेव: आतंकी नेटवर्क पर करारा प्रहारअमित शाह ने सदन को ऑपरेशन महादेव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पहलगाम में हमला करने वाले जिन आतंकियों की तलाश चल रही थी, वे अब मारे जा चुके हैं। इस अभियान में सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया। इसमें तीन आतंकवादी – सुलेमान उर्फ फैज़ल, अफगान और जिब्रान – मारे गए। सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय कमांडर था और उसके खिलाफ कई पुख्ता सबूत एजेंसियों के पास मौजूद थे। वह न सिर्फ पहलगाम हमले में शामिल था, बल्कि गगनगीर हमले में भी उसकी संलिप्तता सामने आई थी।
जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों की सराहनाशाह ने कहा, “बैसरण घाटी में जिन निर्दोष नागरिकों की जान गई, उनकी हत्या में यही तीन आतंकी शामिल थे। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने उन तीनों को उनके अंजाम तक पहुंचाया।” उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में सेना के पैरा फोर्स के जवानों, सीआरपीएफ के बहादुर सैनिकों और जम्मू-कश्मीर पुलिस की भूमिका अहम रही। गृह मंत्री ने सदन के माध्यम से इन सभी को धन्यवाद दिया और उनकी वीरता को सराहा।
लंबे समय तक चली निगरानी और फिर मिली सफलताउन्होंने बताया कि खुफिया एजेंसी (आईबी) और सेना ने रांची क्षेत्र में आतंकियों की गतिविधियों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए 22 मई से 22 जुलाई 2025 तक लगातार नजर रखी। 22 जुलाई को जब पुख्ता सूचना मिली कि आतंकी वहां मौजूद हैं, तब अभियान को अंजाम दिया गया। आधुनिक सेंसर तकनीक की मदद से आतंकियों का ठिकाना चिन्हित किया गया और फिर सेना व पुलिस ने उन्हें चारों ओर से घेर कर मार गिराया।