लोकसभा में सोमवार को जब 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर आधिकारिक बहस की शुरुआत हुई, तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को बताया कि भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादियों, उनके ट्रेनर्स और मददगारों को ढेर किया गया। लेकिन जैसे ही यह बयान आया, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अपनी सीट से उठ खड़े हुए और बिना वक्त गंवाए सवाल दागा — अगर इतनी निर्णायक कार्रवाई हुई, तो फिर यह ऑपरेशन बीच में क्यों रोका गया?
राहुल के इस सवाल ने जैसे ही सदन का तापमान बढ़ाया, विपक्षी सांसदों ने भी अपनी आवाज़ें ऊँची करनी शुरू कर दीं। इस पर राजनाथ सिंह ने ठहराव भरे स्वर में कहा, कृपया मुझे बात पूरी करने दें, मैं आपके हर सवाल का उत्तर दूंगा।
ऑपरेशन समाप्त नहीं, अस्थायी रूप से टाला गया — राजनाथ सिंह ने दी सफाईरक्षा मंत्री ने इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को रोका नहीं गया, बल्कि एक रणनीतिक विराम दिया गया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, अगर पाकिस्तान फिर से कोई नापाक हरकत करता है, तो हम दोबारा उतनी ही ताकत से जवाब देंगे। हमारा उद्देश्य युद्ध करना नहीं, बल्कि आतंक के आकाओं को करारा सबक सिखाना है।
भारतीय हमलों से घबरा उठा पाकिस्तानराजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि भारतीय सशस्त्र बलों की संयुक्त कार्रवाई से पाकिस्तान पूरी तरह अस्थिर हो गया। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना के सटीक हवाई हमलों, थल सेना की निर्णायक प्रतिक्रिया और नौसेना की तैनाती ने पड़ोसी देश को घुटनों पर ला दिया। रक्षा मंत्री के अनुसार, 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन कर सैन्य कार्रवाई को थामने की अपील की थी, और इसके दो दिन बाद, 12 मई को, दोनों देशों के बीच औपचारिक वार्ता के बाद सैन्य कार्रवाई पर विराम लगाने का निर्णय लिया गया।
सभी लक्ष्य पूरे होने पर किया गया निर्णयराजनाथ सिंह ने राहुल गांधी की शंका का खंडन करते हुए कहा कि ऑपरेशन किसी बाहरी दबाव या अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण नहीं रोका गया। उन्होंने कहा, हमने अपने तय किए गए रणनीतिक और सैन्य लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिया था। ऐसे में कार्रवाई को रोकना तर्कसंगत था। इसके साथ ही उन्होंने एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा, परीक्षा में यह मायने नहीं रखता कि पेन टूटा या पेंसिल, महत्त्व यह रखता है कि परिणाम क्या आया। ऑपरेशन सिंदूर में हमें 100 फीसदी सफलता मिली है।
हमारा निशाना सिर्फ आतंकी और उनके संरक्षक थेरक्षा मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि भारतीय सेना ने बेहद संयम और सटीकता के साथ उन ठिकानों को निशाना बनाया, जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान में स्थित आतंकी शिविरों, प्रशिक्षण केंद्रों और लॉजिस्टिक सपोर्ट नेटवर्क को ध्वस्त करना था, जिन्हें उन्होंने टेरर नर्सरी करार दिया।
विपक्ष ग़लत सवालों में उलझा है, फिर भी मैं जवाब देने को तैयारराजनाथ सिंह ने विपक्ष की शैली पर निशाना साधते हुए कहा कि वे बार-बार यह पूछते हैं कि भारत के कितने विमान गिरे, लेकिन कभी यह जानने की कोशिश नहीं करते कि दुश्मन के कितने एयरक्राफ्ट हमने तबाह किए। उन्होंने दो-टूक कहा, असल सवाल यह होना चाहिए — क्या ऑपरेशन सफल रहा? और इसका उत्तर है — बिल्कुल, पूरी तरह। उन्होंने यह भी कहा कि जब देश की सुरक्षा और सैन्य रणनीति जैसे मुद्दे सामने हों, तो छोटी-छोटी बातों में उलझना न केवल अनुचित है, बल्कि सैनिकों का मनोबल भी तोड़ता है।
राजनीतिक मतभेद हों, लेकिन वैर नहीं — समापन में राजनाथ सिंह का संतुलित संदेशरक्षा मंत्री ने अंत में एक संयमित और लोकतांत्रिक संदेश देते हुए कहा, राजनीति में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन उसे शत्रुता में बदल देना ठीक नहीं। आज हम सत्ता में हैं, कल आप भी हो सकते हैं। उन्होंने जोड़ा कि जब वे विपक्ष में थे, तब भी उन्होंने ज़िम्मेदार भूमिका निभाई थी।