
12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए भयावह एयर इंडिया विमान हादसे ने देश-दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। हादसे की जांच में अहम सुराग माने जाने वाला 'ब्लैक बॉक्स' अब अमेरिका के वाशिंगटन स्थित NTSB (नेशनल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड) की लैब में भेजा जा रहा है। भारत में उपलब्ध तकनीक इसकी भारी क्षति के चलते डेटा निकालने में असमर्थ रही। इस जांच पर भारत के अलावा ब्रिटेन की एजेंसी भी नजर रखेगी क्योंकि हादसे में 53 ब्रिटिश नागरिकों की भी मौत हुई थी।
भारत में क्यों नहीं हो सका डेटा रिकवर?हवाई दुर्घटनाओं के बाद ब्लैक बॉक्स से मिलना वाला डेटा जांच की दिशा तय करता है। भारत की एअरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) के पास दिल्ली में एक विशिष्ट लैब है जो सामान्य परिस्थितियों में ब्लैक बॉक्स डिकोड कर सकती है। लेकिन अहमदाबाद हादसे में ब्लैक बॉक्स को इतनी अधिक क्षति हुई कि उन्नत तकनीक के बिना डेटा निकालना संभव नहीं था। भारत के पास इस स्तर की क्षति को संभालने वाली तकनीक मौजूद नहीं है। यही कारण है कि यह ब्लैक बॉक्स अमेरिका भेजा गया है।
कौन करेगा जांच, कौन रखेगा निगरानी?ब्लैक बॉक्स की जांच अमेरिका के NTSB की प्रयोगशाला में की जाएगी, लेकिन पूरी प्रक्रिया भारतीय अधिकारियों की निगरानी में होगी। साथ ही, ब्रिटेन की एयर एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (AAIB UK) भी इस प्रक्रिया में शामिल रहेगी। इसकी वजह यह है कि दुर्घटना में ब्रिटेन के 53 नागरिकों की भी मृत्यु हुई थी। यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की जांच होगी, जिसमें पारदर्शिता को पूरी प्राथमिकता दी जा रही है।
डेटा रिकवरी में कितना समय लग सकता है?सरकारी अधिकारियों के अनुसार, डेटा रिकवरी में 2 दिन से लेकर एक महीने तक का समय लग सकता है। यह इस पर निर्भर करता है कि ब्लैक बॉक्स को किस हद तक क्षति पहुंची है। अगर अंदरूनी सर्किट और रिकॉर्डिंग यूनिट को भी नुकसान हुआ है तो प्रक्रिया और अधिक जटिल हो सकती है।
ब्लैक बॉक्स से क्या-क्या मिलेगा पता?ब्लैक बॉक्स में दो मुख्य उपकरण होते हैं —
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): जो विमान की गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन की स्थिति, हाइड्रोलिक सिस्टम, ईंधन और अन्य तकनीकी पहलुओं को रिकॉर्ड करता है।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): जो टेकऑफ से लेकर क्रैश के ठीक पहले तक की पायलटों की बातचीत, अलार्म और बाहरी ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है।
इस डेटा से यह स्पष्ट होगा कि हादसे के वक्त पायलटों ने क्या प्रतिक्रिया दी, मौसम कैसा था, और कोई तकनीकी खराबी हुई थी या नहीं।
कहां मिला था ब्लैक बॉक्स और क्यों अहम है यह जांच?AAIB की टीम ने क्रैश के करीब 28 घंटे बाद ब्लैक बॉक्स को बरामद किया था। इसे विमान के टेल सेक्शन में फिट किया जाता है ताकि क्रैश की स्थिति में यह सबसे सुरक्षित रहे। हालांकि इस दुर्घटना की तीव्रता इतनी अधिक थी कि ब्लैक बॉक्स को भी क्षति हुई। इस कारण इसके डाटा को सुरक्षित तरीके से निकालने के लिए अमेरिका की विशेषज्ञ लैब का सहारा लेना पड़ा।
कैसे हुआ था हादसा?12 जून को दोपहर करीब 1:40 बजे, अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेकऑफ करने के महज दो मिनट के भीतर एअर इंडिया का बोइंग 787 विमान हादसे का शिकार हो गया। विमान एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकरा गया, जिससे आग लग गई और 274 लोगों की जान चली गई। यह भारत के विमानन इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक है। हादसे में सिर्फ एक यात्री — विश्वास कुमार — जीवित बच पाया।
एअर इंडिया हादसे की जड़ तक पहुंचने में ब्लैक बॉक्स की जांच सबसे अहम कड़ी है। अमेरिका में यह जांच केवल तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि 274 परिवारों को न्याय दिलाने की उम्मीद भी है। सरकार की कोशिश है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से निष्पक्ष और गहन जांच हो सके, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं। अमेरिका से जब इस ब्लैक बॉक्स का विश्लेषण सामने आएगा, तब पूरे हादसे की असल वजह स्पष्ट होगी।