INDIA गठबंधन से अलग हुई 'आप', बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी

लोकसभा चुनाव 2024 के बाद विपक्षी गठबंधन INDIA में दरारें खुलकर सामने आने लगी हैं। आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अब किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी। पार्टी ने कई राज्यों में अपनी रणनीति भी तय कर ली है।

INDIA गठबंधन से 'आप' का अलग रास्ता

विपक्षी गठबंधन INDIA, जिसे लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा था, अब कमजोर होता नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी ने इस गठबंधन से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक अनुराग ढांडा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि AAP अब किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, हमारे पास अपनी ताकत है और हम उसी पर आगे बढ़ रहे हैं।

बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी AAP

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति का एलान कर दिया है। पार्टी के बिहार प्रभारी अजेश यादव ने बताया कि AAP राज्य की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करने की दिशा में काम जारी है और फिलहाल राज्य में 7 चरणों की जनसंपर्क यात्रा निकाली जा रही है।

दिल्ली की हार के बाद बदली रणनीति

लोकसभा चुनाव में दिल्ली की 7 में से कोई भी सीट न जीत पाने के बाद, आप ने अब अपने राजनीतिक फोकस को फिर से केंद्रित किया है। पार्टी अब दिल्ली से ज्यादा पंजाब, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों पर ध्यान दे रही है। साथ ही, संगठनात्मक स्तर पर मजबूती लाने के लिए राज्यों को दो श्रेणियों में बांटा गया है—A कैटेगरी में वे राज्य शामिल हैं जहां पार्टी की पकड़ पहले से मजबूत है, जैसे पंजाब, दिल्ली, गुजरात और गोवा। वहीं, B कैटेगरी में वे राज्य हैं जहां नए नेतृत्व को उभारने की कोशिश की जा रही है।

केजरीवाल करेंगे राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार

पार्टी सूत्रों के अनुसार, अरविंद केजरीवाल आने वाले दो वर्षों में प्रमुख राज्यों में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभालेंगे। खासतौर से असम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में केजरीवाल की भूमिका अहम रहने वाली है। पार्टी ने 2027 तक के विधानसभा चुनावों के लिए विस्तृत कार्यक्रम तैयार कर लिया है।

दिल्ली में भाजपा की वापसी, कांग्रेस फिर खाली हाथ


दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा। राज्य की 70 सीटों में से पार्टी केवल 22 सीटें ही जीत सकी, जबकि भाजपा ने 48 सीटें अपने नाम कर सत्ता में वापसी की। कांग्रेस इस बार भी दिल्ली में खाता खोलने में नाकाम रही, जिससे राजधानी में उसका राजनीतिक भविष्य और धूमिल होता दिख रहा है।