मात्र 4 फुट 11 इंच कद की मीराबाई चानू ने शनिवार को भारत का मान बढ़ा दिया। वे टोक्यो ओलंपिक में भारत को पदक दिलाने वालीं पहली एथलीट बन गईं। वैसे वे ओलंपिक के इतिहास में पदक जीतने वालीं भारत की दूसरी भारोत्तोलक (वेटलिफ्टर) बन गई हैं। चानू ने 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता। उनसे पहले 2020 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक जीता था। अब हम आपको बताने जा रहे हैं चानू की जिंदगी के अब तक के सफर के बारे में। 26 वर्षीय चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को मणिपुर के नोंगपेक काकचिंग गांव में हुआ था। चानू का जीवन संघर्ष से भरा रहा है।
पहले बनना चाहती थीं तीरंदाज, फिर कुंजरानी देवी को देख…
उनका
बचपन पहाड़ से जलावन की लकड़ियां बीनते बीता। वे तीरंदाज यानी आर्चर बनना
चाहती थीं लेकिन कक्षा आठ तक आते-आते उनका लक्ष्य बदल गया। दरअसल कक्षा आठ
की किताब में मशहूर वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी का जिक्र था। उनके खाते में
वेटलिफ्टिंग में सबसे ज्यादा पदक हैं। बस यहीं से चानू ने वेटलिफ्टर बनने
की ठान ली। छह भाई-बहनों में सबसे छोटी चानू की ज़िद के आगे मां-बाप को भी
हार माननी पड़ी।
वर्ष 2007 में जब प्रेक्टिस शुरु की तो उनके पास
लोहे का बार नहीं था तो वो बांस से ही अभ्यास करती थीं। उनकी मेहनत रंग
लाई, जब उन्होंने 2014 में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलो भारवर्ग
में सिल्वर मेडल जीता। लगातार अच्छे प्रदर्शन की बदौलत वे रियो ओलंपिक के
लिए क्वालिफाई करने में सफल रहीं। हालांकि रियो में वे क्लीन एंड जर्क के
तीनों प्रयासों में भार उठाने में नाकामयाब रही थीं।
रियो के बाद आ गई थीं डिप्रेशन में
नौबत
यहां तक आई कि रियो ओलंपिक के बाद वे डिप्रेशन में चली गईं और उन्हें हर
हफ्ते मनोवैज्ञानिक के सेशन लेने पड़े। एक बार तो चानू ने खेल को अलविदा
कहने का मन बना लिया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंतरराष्ट्रीय
प्रतियोगिताओं में जबरदस्त वापसी की। रियो की नाकामी को भुलाकर चानू ने
2017 की विश्व चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया।
अनाहेम में
हुई उस चैम्पियनशिप में चानू ने कुल 194 किलो वजन उठाया था, जो कंपिटीशन
रिकॉर्ड था। वर्ष 2018 में एक बार फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में चानू ने गोल्ड
जीतकर श्रेष्ठता साबित की। मीराबाई इस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली
इकलौती भारतीय वेटलिफ्टर हैं। उन्होंने एशियन चैम्पियनशिप में 49 किलो
भारवर्ग में कांस्य जीतकर टोक्यो का टिकट कटाया था।