
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने खेल को अधिक निष्पक्ष और तेज़ बनाने के उद्देश्य से पांच अहम नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इनमें टेस्ट, वनडे और टी20 क्रिकेट के लिए अलग-अलग स्तर पर लागू किए जाने वाले नियम शामिल हैं। 17 जून से कुछ नियम लागू हो चुके हैं जबकि बाकी 2 जुलाई 2025 से प्रभावी होंगे। इन बदलावों से बल्लेबाजों, गेंदबाजों और फील्डर्स सभी की रणनीतियों पर सीधा असर पड़ने वाला है। आइए जानते हैं इन पांच बड़े बदलावों के बारे में विस्तार से।
1. टेस्ट क्रिकेट में स्टॉप क्लॉक की एंट्रीअब टेस्ट क्रिकेट में भी ‘स्टॉप क्लॉक’ नियम लागू कर दिया गया है, जो पहले से ही वनडे और टी20 क्रिकेट में प्रभावी था। इस नियम के तहत फील्डिंग टीम को हर ओवर समाप्त होते ही अगले ओवर की शुरुआत 60 सेकेंड के भीतर करनी होगी। यदि टीम इस समय सीमा का पालन नहीं करती, तो उसे पहले दो चेतावनियां दी जाएंगी, और उसके बाद पांच रन की पेनल्टी लगाई जाएगी। यह नियम 17 जून 2025 से प्रभावी हो चुका है। हर 80 ओवर के बाद चेतावनियों की गिनती को रीसेट कर दिया जाएगा। इस परिवर्तन का मुख्य उद्देश्य टेस्ट क्रिकेट की ओवर गति को तेज करना और खेल को अधिक आकर्षक बनाना है।
2. डीआरएस में बदलाव: कैच के बाद भी हो सकेगा LBW चेकअब यदि कोई बल्लेबाज विकेट के पीछे कैच आउट होता है और रीप्ले में यह स्पष्ट हो जाता है कि गेंद बल्ले से नहीं बल्कि सीधे पैड से टकराई थी, तो तीसरा अंपायर अब LBW की भी समीक्षा कर सकता है। यह बदलाव खासकर विकेट के पीछे की अपीलों में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए किया गया है। हालांकि, यदि गेंद ट्रैकिंग ‘अंपायर कॉल’ के अंतर्गत आती है, तो ऑन-फील्ड अंपायर का मूल निर्णय ही मान्य रहेगा। यह नियम निर्णय समीक्षा प्रणाली को और अधिक प्रभावी और निष्पक्ष बनाता है।
3. शॉर्ट रन पर सख्ती: जुर्माने के साथ स्ट्राइक का निर्णय भीआईसीसी ने अब शॉर्ट रन की स्थिति पर भी सख्ती दिखाने का फैसला लिया है। यदि कोई बल्लेबाज जानबूझकर दौड़ते समय पूरी दूरी तय नहीं करता, यानी शॉर्ट रन लेता है, तो अंपायर बल्लेबाजी टीम पर सीधे पांच रन की पेनल्टी लगाएंगे, जिससे उनकी स्कोरिंग पर असर पड़ेगा। इसके अलावा, अंपायर फील्डिंग टीम से पूछेगा कि अगली गेंद पर स्ट्राइक पर कौन बल्लेबाज रहेगा। यह नियम मैच की पारदर्शिता को बढ़ावा देने और जानबूझकर की जाने वाली गलतियों पर रोक लगाने के लिए लाया गया है।
4. नो-बॉल पर कैच की भी जांचनए नियम के अनुसार अब नो-बॉल की स्थिति में भी कैच की वैधता की गहराई से जांच की जाएगी। यदि बल्लेबाज कैच आउट होता है और अंपायर को संदेह होता है, तो थर्ड अंपायर सबसे पहले यह जांच करेगा कि गेंद नो-बॉल तो नहीं थी। अगर गेंद नो-बॉल पाई जाती है, तब भी वह यह देखेगा कि क्या कैच कानूनी रूप से लिया गया या गेंद जमीन से टकराई। ऐसे मामलों में नो-बॉल के अतिरिक्त रन तो जोड़ ही दिए जाएंगे, साथ ही यदि बल्लेबाजों ने दौड़कर अतिरिक्त रन लिए हैं, तो वे भी स्कोर में शामिल किए जाएंगे।
5. सलाइवा नियम में नरमी, लेकिन सख्त निगरानीकोविड-19 महामारी के बाद गेंद पर लार के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था। अब आईसीसी ने इस नियम में थोड़ी नरमी लाते हुए यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी खिलाड़ी द्वारा गेंद पर लार का उपयोग किया जाता है, तो अंपायर के पास गेंद को बदलने का अधिकार होगा, लेकिन यह आवश्यक नहीं होगा। गेंद केवल तब बदली जाएगी जब उसकी स्थिति में स्पष्ट गिरावट आएगी। यदि यह पाया गया कि खिलाड़ी ने जानबूझकर लार का उपयोग किया है, तो अंपायर उस पर जुर्माना भी लगा सकते हैं। यह बदलाव गेंद को जानबूझकर बदलने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने और नियमों का दुरुपयोग न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।
आईसीसी द्वारा किए गए ये नियम परिवर्तन आधुनिक क्रिकेट को अधिक तेज़, निष्पक्ष और व्यावहारिक बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम है। स्टॉप क्लॉक से लेकर शॉर्ट रन की पेनल्टी और डीआरएस की विस्तृत समीक्षा तक, इन बदलावों से हर टीम को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। खासकर शॉर्ट रन और कैच पर नियम खिलाड़ियों के लिए नई चुनौती बन सकते हैं।