कप्तानी ने छीन ली सूर्या की चमक? बल्ला हुआ खामोश, आंकड़े कर रहे हैं चौकाने वाला खुलासा

भारतीय क्रिकेट के मिस्टर 360 डिग्री कहे जाने वाले सूर्यकुमार यादव पर इन दिनों सवालों के बादल छाए हुए हैं। जब वह कप्तान नहीं थे, तब उनका बल्ला विरोधी गेंदबाजों पर कहर बनकर टूटता था। हर शॉट में आत्मविश्वास, हर पारी में विस्फोटक अंदाज। लेकिन जैसे ही कप्तानी उनके कंधों पर आई, उनकी बल्लेबाजी जैसे कहीं खो सी गई। अब वही खिलाड़ी रनों के लिए संघर्ष करता दिखाई दे रहा है।

कप्तानी का दबाव या फॉर्म का संकट?

टी20 टीम के कप्तान के रूप में सूर्यकुमार यादव इस वक्त भारत के लिए एक अहम जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। लेकिन उनकी खुद की बल्लेबाजी अब सवालों के घेरे में है। उन्होंने हाल ही में कहा कि “मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूं, रन तो आएंगे, फिलहाल टीम के लक्ष्य पर फोकस कर रहा हूं।” उनकी बातों से साफ झलकता है कि वह फॉर्म की चिंता से ऊपर उठना चाहते हैं, मगर आंकड़े कुछ और कहानी सुना रहे हैं।

कप्तान बनने से पहले ‘खतरनाक सूर्या’


सूर्यकुमार यादव जब कप्तान नहीं थे, तब वह किसी तूफान से कम नहीं लगते थे। गेंदबाजों के लिए वह एक बुरा सपना थे। उस दौर में खेले गए 61 टी20 इंटरनेशनल मैचों में उन्होंने 58 पारियों में 43.40 की औसत से 2040 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 3 शतक और 17 अर्धशतक निकले। उनका स्ट्राइक रेट था 168.17 — यानी हर गेंद पर धमाका। यही वह दौर था जब दुनिया ने उन्हें असली मिस्टर 360 के रूप में पहचाना।

कप्तानी में खो गया सूर्या का टच

अब तस्वीर बदली है। कप्तानी की जिम्मेदारी संभालने के बाद से उनके बल्ले से रन बहुत कम निकल रहे हैं। बतौर कप्तान उन्होंने अब तक 27 पारियों में सिर्फ 630 रन बनाए हैं, औसत महज 25.20 का रहा है। एक शतक और चार अर्धशतक उनके नाम जरूर हैं, लेकिन उनकी पहचान रहे लगातार बड़े स्कोर अब गायब हो चुके हैं। स्ट्राइक रेट भी 152.54 पर सिमट गया है।

एशिया कप और हालिया प्रदर्शन

एशिया कप 2025 में सूर्या का प्रदर्शन बेहद फीका रहा। छह पारियों में उन्होंने सिर्फ 72 रन बनाए। पाकिस्तान के खिलाफ 47 रन की एक पारी को छोड़ दें तो बाकी सभी मैचों में उनका बल्ला नाकाम रहा। उनका औसत रहा 18 और स्ट्राइक रेट मात्र 101.40। इतने कमजोर आंकड़े उस खिलाड़ी के लिए अजीब हैं जो कुछ महीने पहले तक हर गेंद को बाउंड्री के पार भेज रहा था।

‘मैं आउट ऑफ फॉर्म नहीं, बस रन नहीं बन रहे’

एशिया कप में फ्लॉप होने के बाद सूर्या ने कहा था कि वह आउट ऑफ फॉर्म नहीं, बल्कि आउट ऑफ रन हैं। यानी उन्हें विश्वास है कि उनका खेल अब भी पहले जैसा है, बस किस्मत साथ नहीं दे रही। लेकिन खेल में आंकड़े कभी झूठ नहीं बोलते, और वही बता रहे हैं कि सूर्या के बल्ले पर अब कप्तानी का असर दिख रहा है।

क्या कप्तानी की जिम्मेदारी भारी पड़ रही है?


क्रिकेट में कई बार कप्तानी एक वरदान बनती है, तो कभी बोझ। सूर्यकुमार यादव के मामले में ऐसा लगता है कि कप्तानी का दबाव उनकी स्वाभाविक बल्लेबाजी को दबा रहा है। जो खिलाड़ी पहले बिना किसी झिझक के शॉट खेलता था, वह अब जिम्मेदारी के बोझ तले थोड़ा सतर्क और संकोची नजर आता है।

शुभमन गिल फैक्टर से बढ़ा दबाव


इस बीच टीम इंडिया में शुभमन गिल के रूप में एक नया नेतृत्व चेहरा उभर रहा है। वह अब टी20 टीम के उपकप्तान हैं और हाल ही में वनडे की भी कमान संभाल चुके हैं। क्रिकेट गलियारों में चर्चा है कि भविष्य में तीनों फॉर्मेट की कप्तानी भी उन्हें सौंपी जा सकती है। ऐसे में सूर्या पर प्रदर्शन का दबाव और बढ़ गया है। अगर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उनका बल्ला फिर खामोश रहा, तो नेतृत्व की सीट पर भी खतरा मंडरा सकता है।

कोच गौतम गंभीर की सोच

टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर ने फिलहाल सूर्या के फॉर्म को लेकर किसी तरह की चिंता से इंकार किया है। उनका मानना है कि सूर्या जैसे खिलाड़ी किसी भी वक्त लय में लौट सकते हैं। लेकिन अगर आंकड़ों की मानें, तो सूर्यकुमार यादव की बल्लेबाजी दो हिस्सों में बंटी दिखती है — कप्तानी से पहले और कप्तानी के बाद।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली टी20 सीरीज सूर्या के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है। यह सीरीज तय करेगी कि वह बतौर कप्तान और बल्लेबाज दोनों रूपों में टीम इंडिया का भविष्य हैं या नहीं। अगर सूर्या अपने पुराने अंदाज में लौटते हैं, तो यह न सिर्फ टीम के लिए बल्कि उनके आत्मविश्वास के लिए भी बेहद अहम होगा।

सूर्यकुमार यादव का सफर हमें यह सिखाता है कि क्रिकेट में ‘रन’ ही खिलाड़ी की असली पहचान होते हैं। कप्तानी कितनी भी बड़ी हो, लेकिन बल्ले की खामोशी हर बार सवाल खड़े करती है। अब सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि क्या सूर्या उस पुरानी चमक को फिर से वापस ला पाएंगे — या कप्तानी ने सचमुच उनके बल्ले की धार कुंद कर दी है।