
क्रिकेट में अक्सर यह कहा जाता है कि रन बनाओ और मैच अपने आप जीत जाओ, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में यह सिद्धांत हमेशा सही साबित नहीं होता। कई बार ऐसा हुआ है जब किसी टीम ने दोनों पारियों में भारी स्कोर खड़ा किया, फिर भी उसे हार का सामना करना पड़ा। ताजा उदाहरण है लीड्स टेस्ट 2025 का, जहां भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 835 रन बनाने के बावजूद मुकाबला गंवा दिया।
पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले में भारत ने पहली पारी में 471 और दूसरी पारी में 364 रन बनाए, लेकिन इसके बावजूद इंग्लैंड ने यह मैच 5 विकेट से अपने नाम कर लिया। इस हार के साथ भारतीय टीम टेस्ट इतिहास की उन 5 टीमों की सूची में चौथे स्थान पर आ गई है, जिन्होंने हारने के बावजूद दोनों पारियों में सबसे अधिक रन बनाए।
आइए जानते हैं वो पांच मौके जब टीमें रन बनाने में तो अव्वल रहीं लेकिन जीत उनसे दूर रह गई—
1. इंग्लैंड – 861 रन (लीड्स, 1948 बनाम ऑस्ट्रेलिया)क्रिकेट इतिहास में किसी भी हारे हुए टेस्ट में सर्वाधिक कुल स्कोर का रिकॉर्ड इंग्लैंड के नाम है। 1948 में लीड्स में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच में इंग्लिश टीम ने पहली पारी में 496 और दूसरी पारी में 365 रन बनाए, यानी कुल 861 रन। इसके बावजूद ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से इंग्लैंड को हार का स्वाद चखाया। इस मैच में डॉन ब्रैडमैन की टीम ने चौथी पारी में 404 रनों का लक्ष्य 3 विकेट खोकर हासिल कर लिया था।
2. पाकिस्तान – 847 रन (रावलपिंडी, 2022 बनाम इंग्लैंड)2022 में खेले गए रावलपिंडी टेस्ट में पाकिस्तान ने शानदार बल्लेबाजी की थी। पहली पारी में पाकिस्तान ने 579 और दूसरी पारी में 268 रन बनाए। कुल स्कोर हुआ 847 रन। बावजूद इसके इंग्लैंड ने आक्रामक खेल दिखाते हुए मैच को 74 रनों से जीत लिया। इंग्लैंड की 'बैज़बॉल' रणनीति ने इस मैच को ऐतिहासिक बना दिया था। यह मुकाबला टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे तेज गति से खेले गए मैचों में से एक बन गया था, जहां दोनों टीमों ने जमकर रन बनाए।
3. न्यूजीलैंड – 837 रन (नॉटिंघम, 2022 बनाम इंग्लैंड)उसी साल यानी 2022 में नॉटिंघम टेस्ट में न्यूजीलैंड ने इंग्लैंड के खिलाफ कुल 837 रन बनाए थे। पहली पारी में 553 और दूसरी पारी में 284 रन बनाए गए। हालांकि इंग्लैंड की टीम ने दूसरी पारी में जबरदस्त रनचेज करते हुए यह मुकाबला 5 विकेट से जीत लिया। जॉनी बेयरस्टो की 136 रनों की पारी इस मैच की निर्णायक बिंदु बन गई। न्यूजीलैंड की हार यह दर्शाती है कि सिर्फ रन बनाना काफी नहीं होता, रणनीति और गेंदबाजी भी उतनी ही अहम होती है।
4. भारत – 835 रन (लीड्स, 2025 बनाम इंग्लैंड)अब इस अनचाही सूची में भारत का नाम भी जुड़ गया है। लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट में भारत ने पहली पारी में 471 और दूसरी पारी में 364 रन बनाए, यानी कुल 835 रन। एक समय लग रहा था कि भारत यह मैच आसानी से जीत जाएगा, लेकिन इंग्लैंड के ओपनर बेन डकेट (149 रन) और जैक क्रॉली (65 रन) की ओपनिंग साझेदारी ने भारत की गेंदबाजी को पूरी तरह से निष्क्रिय कर दिया। इंग्लैंड ने 371 रनों के लक्ष्य को मात्र 82 ओवर में 5 विकेट खोकर हासिल कर लिया, जिससे भारत को करारी हार मिली।
5. इंग्लैंड – 817 रन (एडिलेड, 1921 बनाम ऑस्ट्रेलिया)1921 में एडिलेड टेस्ट में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली पारी में 447 और दूसरी पारी में 370 रन बनाए थे। यानी कुल 817 रन। लेकिन ब्रूस ग्रेगोरी और वारन बिली जैसे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने इंग्लिश गेंदबाजी को ध्वस्त कर दिया। ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी पारी में सिर्फ चार विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर मैच अपने नाम कर लिया। यह मुकाबला टेस्ट इतिहास के सबसे पुराने और रोचक मुकाबलों में से एक बन गया था।
क्या दर्शाता है यह रिकॉर्ड?इन सभी उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि टेस्ट क्रिकेट में सिर्फ रनों का अंबार खड़ा करना जीत की गारंटी नहीं है। गेंदबाजों की धार, कप्तानी की समझदारी और दबाव में निर्णय लेने की क्षमता ही किसी टीम को विजयी बनाती है। भारत ने लीड्स में बेहतरीन बल्लेबाजी की, लेकिन गेंदबाजी में अपेक्षित धार नहीं दिखी। न ही कप्तानी में वह आक्रामकता दिखी जिससे इंग्लिश बल्लेबाजों को दबाव में लाया जा सके।
भारत के लिए सबकलीड्स टेस्ट की हार भारत के लिए कई सबक छोड़ गई है। इस टेस्ट में भारत ने स्कोरबोर्ड पर दबाव बनाया, लेकिन विपक्ष को आउट करने के लिए जिन रणनीतियों की जरूरत थी, वे नदारद रहीं। यह मैच भारत के गेंदबाजों की कार्यक्षमता और रणनीति को फिर से परखने की मांग कर रहा है।
भारत को आगे के टेस्ट मैचों में केवल स्कोर बनाने से संतोष नहीं करना होगा, बल्कि गेंदबाजी विभाग को भी अपनी धार दिखानी होगी। नहीं तो ऐसी अनचाही लिस्टों में नाम जुड़ते रहेंगे।
इतिहास इस बात का गवाह है कि टेस्ट क्रिकेट में जीत के लिए संतुलन जरूरी होता है। बल्लेबाजों के रन और गेंदबाजों की विकेट चटकाने की क्षमता मिलकर ही किसी टीम को जीत दिला सकते हैं। भारत को आगे के मैचों में यह संतुलन साधना होगा, ताकि वह केवल स्कोर नहीं बल्कि परिणाम भी अपने नाम कर सके।