सीप के अंदर जब एक कंकड़ के इर्द-गिर्द पेशियों का घेरा बनता है, तो ये
घेरा सीप की तकलीफ कम करने के लिए बनता है। इस दर्द से एक मोती तैयार होता
है। जब मोतियों का कारोबारी उत्पादन किया जाता है तो सीप की जीभ फाड़कर
उसमें कंकड़ घुसाया जाता है। जब तक मोती तैयार नहीं होता, तब तक सीप भयंकर
दर्द झेलती है। फिर मोती निकालने के लिए उसे मार दिया जाता है।