पद्मपुराण में कहा गया है कि जो मनुष्य मुक्ति और पुण्यलोक में जाने की इच्छा रखते हैं उन्हें साल की दो एकादशी देवप्रबोधनी और देवशयनी के दिन व्रत जरूर रखना चाहिए। इस दिन व्रत रखने वाले पर भगवान की बड़ी कृपा होती है। क्योंकि एक में भगवान सोते हैं और दूसरे में जगते हैं। धार्मिक दृष्टि से ये दोनों ही घटनाएं बेहद खास मानी जाती है।
जानिए कैसे करें देवशयनी एकादशी का पूजन...
* एकादशी को प्रातःकाल उठें।
* इसके बाद घर की साफ-सफाई तथा नित्य कर्म से निवृत्त हो जाएं
* स्नान कर पवित्र जल का घर में छिड़काव करें।
* घर के पूजन स्थल अथवा किसी भी पवित्र स्थल पर प्रभु श्री हरि विष्णु की सोने, चांदी, तांबे अथवा पीतल की मूर्ति की स्थापना करें।
* तत्पश्चात उसका षोड्शोपचार सहित पूजन करें।
* इसके बाद भगवान विष्णु को पीतांबर आदि से विभूषित करें।
* तत्पश्चात व्रत कथा सुननी चाहिए।
* इसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें।
* अंत में में सफेद चादर से ढंके गद्दे-तकिए वाले पलंग पर श्री विष्णु को शयन कराना चाहिए।