दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 21 भारत के : रिपोर्ट

वायु प्रदूषण आज एक बड़ी समस्या बन गई है। टॉप-10 सबसे प्रदूषित देशों में सभी देश एशियाई हैं। भारत का स्थान इसमें 5वां है। पिछले साल भारत का स्थान तीसरा था। 2019 में भारत का पीएम2.5 (μg/m³)- 58.08 रहा, जो 2018 से 14.46 पॉइंट कम है। रिपोर्ट में इस सुधार का कारण आर्थिक मंदी को बताया गया है।

आईक्यूएयर विजुअल ने 25 फरवरी को यूएस एयर क्वालिटी इंडेक्स 2019 जारी किया है। इसमें दुनिया के 5000 शहरों के वायु प्रदूषण के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इसमें पीएम 2.5 के आंकड़े शामिल किए गए हैं।

पहले स्थान पर बांग्लादेश, दूसरे पर पाकिस्तान, तीसरे पर मंगोलिया, चौथे पर अफगानिस्तान और पांचवें नंबर पर भारत है। वहीं छठें नंबर पर इंडोनेशिया, 7वें नंबर पर बहरीन, 8वें नंबर पर नेपाल, 9वें नंबर पर उज्बेकिस्तान और 10वें नंबर पर इराक है।

वहीं शहरों की बात करे तो लिस्ट में भारत के शहर एक बार फिर टॉप पर हैं। यूपी का गाजियाबाद इस लिस्ट में पहले नम्बर पर है। टॉप-10 में से 6 और टॉप-30 में कुल 21 शहर भी भारत के हैं। 2018 की रिपोर्ट में टॉप-30 प्रदूषित शहरों में भारत के 22 शहर शामिल थे।

नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के गाजियाबाद का 2019 में औसत पीएम2.5 (μg/m³)- 110.2 था, जो दुनियाभर में सबसे खराब था। इसके बाद अगले तीन स्थानों पर चीन और पाकिस्तान के शहर हैं, लेकिन जैसे-जैसे लिस्ट आगे बढ़ती है, भारत के शहरों की संख्या भी इसमें बढ़ती जाती है। टॉप-50 तक भारत के 26 शहर इस लिस्ट में आ जाते हैं। इस लिस्ट के टॉप-50 में सभी शहर एशियाई देशों के हैं। इन सभी का सालाना औसत पीएम2.5 (μg/m³)- 60 से ज्यादा रहा है।

दुनिया की सबसे प्रदूषित शहरों की श्रेणी में गाजियाबाद पहले स्थान पर है, जबकि दिल्ली पांचवे, नोएडा छठे, गुरुग्राम सातवें, ग्रेटर नोएडा नौंवे, बंधवाड़ी दसवें, लखनऊ 11वें, बुलंदशहर 13वें, मुजफ्फरनगर 14वें, बागपत 15वें, जींद 17वें, फरीदाबाद 18वें, भिवाड़ी 20वें, पटना 22वें, पलवल 23वें, मुजफ्फरपुर 25वें, हिसार 26वें, कुटेल 28वें, जोधपुर 29वें और मुरादाबाद 30वें स्थान पर हैं।

वहीं पाकिस्तान की बात करे तो गुजरनवाला तीसरे, फैसलाबाद चौथे, राविंडी आठवें, लाहौर 13वें और मुरीदके 27वें स्थान पर हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 15 साल से कम उम्र के 6 लाख बच्चों की मौत सिर्फ प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के कारण होती है। वर्ल्ड बैंक की 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदुषण के कारण होने वाली बच्चों की मौतों से हर साल दुनियाभर में 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है।