Women's Day Special- सुधा मूर्ति जो भारत की पहली महिला इंजिनियर थी

आज हम एक ऐसे महिला के बारे मै जानने वाले है जो टेल्को कंपनी मै पहली महिला इंजिनियर थी , एक ऐसी महिला जो इनफ़ोसिस कंपनी के सक्सेस मै इन्वेस्टर थी, एक ऐसी महिला जो समाजसेविका भी है , वो इनफ़ोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष भी है और अत्यंत कुशल लेखिका भी है जिनके बारे मै हम बात कर रहे है वो और कोई नहीं पद्मश्री डॉक्टर सुधा मूर्ति है ।

सुधा मूर्तिजी का जन्म 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक के शिगाव मै हुआ । सन 1968 मै ज्यादातर लडकिया अपने करियर के लिए इंजीनियरिंग नहीं करती थी लेकिन सुधा जीने इंजीनियरिंग फील्ड चुना और उन्होंने BVB College of Engineering से अपनी बीई की डिग्री इलेक्ट्रोनिक इंजिनियरींग से पूरी की, सुधाजी उनके बैच मै अकेली ही लड़की थी । उन्होंने सिर्फ अपनी डिग्री पूरी नहीं की बल्कि वो कर्नाटक राज्य मै सारी यूनिवर्सिटी मै फर्स्ट आई और उसके लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें गोल्ड मैडल से सन्मानित किया । सन 1974 मै उन्होंने ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सायंस’ से कंप्यूटर मै मास्टर डिग्री ग्रहण की । उन्होंने मास्टर डिग्री मै भी प्रथम स्थान प्राप्त किया और उनके ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सायंस’ से उन्हें गोल्ड मैडल मिला ।

जब उनकी डिग्री पूरी होने के बाद उन्होंने एक दिन अख़बार मै टेल्को कंपनी मै ट्रेनी इंजिनियर जॉब के लिए advertise देखी तो उसमे एक नोटिस थी की महिला इस जॉब को अप्लाय नहीं कर सकती । तो सुधा जीने JRD टाटा को पत्र लिखा की टाटा जैसी प्रगतीशील कंपनी कैसे पाबंदी लगा सकती है की सिर्फ पुरुष ही इस पद पर काम कर सकते है महिला क्यूँ इस पद पर काम नहीं कर सकती । आज के दौर मै महिला हर वो काम कर सकती है जो पुरुष कर सकते है । चाहे वह शिक्षा हो या नोकरी आज महिला किसी भी काम मै पीछे नहीं है । उन्होंने कहा की आपको ऐसा भेदभाव नहीं करना चाहिये बल्कि महिलाओ को अप्लाय करने का अधिकार देना चाहिये । उस पोस्टपत्र को JRD टाटा ने पढ़ा और सुधाजी को इंटरव्यू के लिये बुलाया और वो इंटरव्यू पास भी हो गई । सुधाजी टाटा कंपनी की पहली टेक्निकल अधिकारी बनी ।

सुधाजी जब पुणे मै जॉब कर रही थी तो उनकी मुलाकात नारायण मूर्ती से हुई और बादमे उन दोनोंने शादी भी की । सुधाजी और नारायणजी मूर्ति ( Sudha And Narayan Murthy) को 2 बच्चे है, एक लड़का और एक लड़की । नारायण मूर्ति जी अपना खुद का कारोबार करना चाहते थे लेकिन पैसे उनके पास नहीं थे । तो उन्होंने उनकी यह सोच सुधा जीके सामने रखी तो सुधाजीने उनके यह सोच को बढ़ावा देते हुये बिज़नस शुरू करने को कहा और उनके पास जो उनकी जमा कुंजी थी 10000 वो नारायण मूर्ती को दी । नारायण मूर्ति ने उस छोटी सी प्रारंभिक राशि से ‘ इंफोसिस ‘ (Infosys) की शुरूआत की , जो सुधाजी ने दुःख-विपत्ति के समय के लिए बचाकर रखी थी । नारायण मूर्ति बड़े गर्व से बताते हैं कि यह उसी की बची हुई धनराशी थी, जो बंगलोर में ‘ इंफोसिस ‘ स्थापित करने में सहायक बनी ।

प्रत्येक भूमिका में सफलता का सार सदैव एक ही रहा है, सुधा कहती हैं – “आप जो भी काम करें, अच्छी तरह से करें. प्रत्येक कार्य में मेरा उद्देश्य एक ही रहा है – जब आप एक अधीनस्थ हों, तो अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार और निष्ठावान रहें तथा व्यावसायिक बनें, लेकिन जब आप बॉस की हैसियत में हों, अपने अधीनस्थों का ध्यान रखें ठीक उसी तरह, जैसे जब बच्चे घर पर हों, माँ को उनके साथ होना चाहिए, क्योंकि उन्हें माँ की जरूरत होती है” ।

सुधा मूर्ति एक समाजसेविका भी है । उन्होंनें सामाजिक कार्य मै बहुत सारा योगदान दिया है । उन्होंने बहुत सारे अनाथाश्रम शुरू किये है । सुधाजी एक अच्छी लेखिका भी है उन्होंने बहुत सारी कहानिया लिखी है । उनकी कहानियाँ सामान्य लोगों के जीवन और दान, आतिथ्य-सत्कार तथा उपलब्धि के बारे में उनके विचारों पर प्रकाश डालती हैं । जैसे की ‘डॉलर बहु’ , ‘स्वीट हास्पिटैलिटी’, ‘महाश्वेता’ …………..

सुधाजी को 2006 मै पद्मश्री पुरस्कार से सन्मानित किया गया है । उन्हें सन 2000 मै ‘राज्यप्रष्टि’ अवार्ड साहित्य और समाजसेवा के लिए प्रदान किया है ।

सुधाजी का कहना है की – “आज महिला हर क्षेत्र मै आगे है और वो अपनी लगन और मेहनत से हर वो काम कर सकते है जो पुरुष कर सकते है” ।