छिप-छिपकर जीने को मजबूर है तालिबानियों के खिलाफ फैसले सुनाने वाली अफगान महिला जज

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगान लोगों में एक दर समाया हुआ हैं और वे खुलकर जी नहीं पा रहे हैं। तालिबान का डर ऐसा हैं कि तालिबानियों के खिलाफ फैसले सुनाने वाली अफगान महिला जज को छिप-छिपकर जीने के लिए मजबूर होना पड़ा हैं। खामा प्रेस न्यूज एजेंसी ने बताया, अन्य महिला कर्मचारियों की तरह ही महिला अभियोजक भी अपने घरों में ही कैद हैं। महिला अभियोजकों का कहना है कि कई पूर्व तालिबानी कैदी बदला लेने के लिए उनकी तलाश कर रहे हैं।

खामा प्रेस न्यूज एजेंसी ने एक महिला जज के हवाले से बताया कि तालिबान के कब्जे के बाद से उन्हें बार-बार अज्ञात नंबरों से फोन कॉल आ रही हैं, जिससे वे भयभीत हैं। कई महिला जज भागकर विदेश चली गई हैं लेकिन सैकड़ों अब भी देश में ही छिप-छिपकर जी रही हैं और उन्हें हरवक्त जान का खतरा रहता है। इन महिला जजों ने आमतौर पर महिला अधिकारों के उल्लंघन, महिला उत्पीड़न, दुष्कर्म, हत्या और पारिवारिक उत्पीड़न के मामलों पर फैसले सुनाए थे।