महज 1 रुपये में बिक रही है जेट एयरवेज!

एक दौर में देश की शीर्ष एयरलाइन कंपनियों में शुमार रही जेट एयरवेज (Jet Airways) इन दिनों कर्ज के संकट से झुझ रही है जिसके चलते कंपनी की 50 फीसदी हिस्सेदारी सिर्फ 1 रुपये में बिक रही है। कंपनी को कर्ज देने वाले भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले सरकारी बैंकों के समूह ने कंपनी के 50.1 पर्सेंट शेयरों को 1 रुपये में लेने की बात कही है। यह डील कंपनी को दिए गए कर्ज के पुनर्गठन के लिए है। 21 फरवरी को जेट की किस्मत का फैसला होगा। करीब एक दशक से देश की टॉप तीन एयरलाइंस में शुमार रही जेट एयरवेज को कभी ट्रैवल एजेंट रहे नरेश गोयल ने स्थापित किया था। इस कंपनी ने ही 1990 के दशक में एविएशन सेक्टर में सरकारी कंपनियों के एकाधिकार को समाप्त किया था। फिलहाल इस कंपनी में 24 फीसदी हिस्सेदारी अबू धाबी की एतिहाद एयरवेज की है।

सस्ती उड़ानों में लुढ़की कंपनी

जेट एयरवेज का दबदबा इंडिगो, स्पाइसजेट, गो एयर जैसी एयरलाइंस के आने से कम होता गया। जेट ने जब मुकाबला करने के लिए किराए कम करने शुरू किए तो उसे नुकसान होने लगा। लेकिन जेट फ्यूल महंगा होना शुरू हुआ तो किराए बढ़ने लगे और लोगों ने महंगे के बजाए बजट एयरलाइंस को ही पसंद किया। एयरलाइंस ने लोन पर डिफॉल्ट करना शुरू कर दिया कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए रकम कम पड़ने लगी और बहुत सी उड़ानें रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। यही वजह रही कि कंपनी लगातार कर्ज के चक्र में फंसती चली गई। जेट एयरवेज का बने रहना सरकार के लिए भी बेहद जरूरी है। वजह यह है कि फिलहाल रोजगार सृजन न कर पाने के आरोपों में घिरी सरकार कंपनी के फेल होने पर घिर सकती है।

कंपनी बिखरी तो छिनेंगे 23,000 रोजगार

जेट एयरवेज ने 23,000 लोगों को रोजगार दे रखा है। यदि कंपनी में किसी तरह का बिखराव होता है तो यह रोजगार के लिहाज से भी गहरा संकट होगा।

स्टेट बैंक की अगुआई वाले कंसोर्शियम ने रिजर्व बैंक के फ्रेमवर्क के हिसाब से 11.40 करोड़ नए शेयर जारी करके 50.1 फीसदी हिस्सेदारी 1 रुपए में खरीदने का प्रस्ताव दिया है। जेट एयरवेज को उड़ान भरने के लिए फिलहार करीब 8500 करोड़ रुपये की जरूरत है। इतने रकम नई इक्विटी, कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग और कुछ एसेट बेचने से आएगी। अगर डील को मंजूरी मिल गई तो बैंकों का कर्ज शेयर में बदल जाएगा उससे जेट एयरवेज पर कर्ज सिर्फ 1 रुपए रह जाएगा।