
जयपुर। राजस्थान सरकार ने बिजली दरों में बढ़ोतरी करने की घोषणा के साथ ही पानी की दरों में भी वृद्धि करने की घोषणा करके प्रदेश की जनता के गले को सूखने पर मजबूर कर दिया है। जलदाय विभाग ने जयपुर सहित अन्य शहरों व कस्बों में सप्लाई हो रहे पानी की टैरिफ में चार गुना तक बढ़ोतरी की है।
पानी पर पहले घरेलू उपयोग के 15 से 40 हजार लीटर पर प्रति हजार लीटर 4.84 रुपये शुल्क लिया जा रहा था जो अब 18 रुपये प्रति हजार लीटर लगेगा। वहीं अघरेलू पर 15 से 40 हजार लीटर पर 19.97 रुपये प्रति लीटर लिया जा रहा था जिसे बढ़ाकर 73 रुपये प्रति हजार लीटर कर दिया गया है।
सभी श्रेणियों में पानी के बिल में लगने वाले स्थाई शुल्क, मीटर सर्विस शुल्क, सीवरेज शुल्क सहित अन्य चार्ज में भी बढ़ोतरी की गई है।
हालांकि राजस्थान सरकार ने आम जनता को बड़ी राहत देते हुए यह स्पष्ट किया है कि भले ही राज्य में पेयजल दरों में संरचनात्मक आधार पर वृद्धि की गई है, लेकिन इसका कोई सीधा असर उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा। सरकार ने घोषणा की है कि उपभोक्ताओं से पानी के बिलों और अन्य जल संबंधी सेवाओं की वसूली पूर्ववत दरों पर ही की जाएगी। इस निर्णय के तहत दरों में बढ़ोतरी का अतिरिक्त आर्थिक भार राज्य सरकार स्वयं वहन करेगी, जिससे सरकार पर हर साल करीब 2100 करोड़ रुपये का वित्तीय दबाव आएगा।
विभाग ने पानी की टैरिफ केवल पेयजल प्रोजेक्ट व स्कीम का लोन लेने के लिए बढ़ाई है।
2017 के बाद अब हुई वृद्धि
जलदाय मंत्री कन्हैयालाल ने जानकारी दी कि विभाग की प्राथमिकता राज्य के प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ, सुरक्षित और पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध कराना है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से अब तक राज्य सरकार ने पानी की दरों में कोई वृद्धि नहीं की है, जबकि इस दौरान जल आपूर्ति प्रणाली, संचालन, संधारण और रखरखाव की लागत में चार से पांच गुना तक बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2015 में दरों में सालाना 10 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे 2017 तक ही आंशिक रूप से लागू किया गया और उसके बाद से दरों को स्थिर रखा गया।
मंत्री ने कहा कि जल संरचना और परिसंपत्तियों के रखरखाव में आने वाली लागत में लगातार वृद्धि होने से वर्तमान टैरिफ से होने वाली आमदनी से आवश्यक व्यय पूरे नहीं हो पा रहे हैं। इससे जल वितरण प्रणाली की कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर पड़ा है और परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में भी गिरावट आई है। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने पेयजल दरों को वास्तविक लागत के अनुरूप तर्कसंगत बनाने का निर्णय लिया है।
सरकार वहन करेगी अतिरिक्त भारवित्त विभाग से दरों में चार गुना तक वृद्धि की अनुमति प्राप्त होने के बाद, दरों में तकनीकी रूप से संशोधन किया गया है, लेकिन उपभोक्ताओं पर इसका कोई भार नहीं डाला गया है। यह राशि राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी यानी अनुदान के रूप में प्रदान की जाएगी, ताकि आमजन पर महंगाई का अतिरिक्त बोझ न पड़े। सरकार के इस निर्णय से राज्य के लाखों परिवारों को सीधी राहत मिलेगी और जलदाय विभाग की सेवाएं भी स्थायित्व के साथ जारी रह सकेंगी।